समर्थन मूल्य पर आलू बेचने से होगा नुकसान
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जौनपुर। पिछले दो वर्ष से आलू की फसल में नुकसान झेल रहे किसानों को सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से भी राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है। किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से तो आलू की फसल में लगाई गई लागत तक नहीं निकल पाएगी। इस स्थिति में किसानों को मजबूरी में अपना आलू बाजार में ही बेचना पड़ेगा अथवा शीतगृह में भंडारण करना होगा। फिलहाल बाजार में आलू की कीमत सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से अधिक मिल रही है। वर्ष 2017-18 में किसानों ने अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर आलू का उत्पादन किया और वर्ष के अंत तक बिक्री नहीं होने के कारण शीतगृह से निकालकर गड्ढों में फेंकने को मजबूर होना पड़ा। दो वर्षों से लगातार आलू की फसल में हो रहे घाटे के कारण आलू उत्पादक किसान बर्बाद हो गया। इस स्थिति से जूझते किसानों ने सरकार से आलू का समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग की थी। प्रदेश सरकार ने अब आलू का समर्थन मूल्य 549 रुपये प्रति कुन्तल घोषित किया है, जबकि उसकी प्रति कुन्तल लागत इससे कहीं अधिक है। अब मंडी में भी आलू के दाम 750 रुपये से 800 रुपये प्रति ¨क्वटल मिल रहे हैं। किसानों का कहना है कि बाजार भाव से 250 रुपये प्रति कुन्तल कम कीमत पर सरकार को आलू कोई क्यों बेचेगा। किसान क्रय केंद्र पर आलू बिक्री करता है तो वहां सरकार निर्धारित आकार का आलू ही खरीदा जाएगा, शेष आकार का आलू उसे वापस लाना होगा। इससे किसान का खर्च भी बढ़ जाएगा और जो आलू मानक से बाहर होगा उसकी कीमत भी काफी कम होगी। ऐसे में सरकार को आलू देने में नुकसान होगा। सरकार ने समर्थन मूल्य घोषित करने में किसान की मेहनत और फसल की लागत मूल्य का ध्यान ही नहीं रखा। समर्थन मूल्य इतना कम है कि अगर किसान सरकार को आलू बेचे तो उसे नुकसान होगा। किसानों का कहना है कि अब बाजार में भी आलू की कीमत समर्थन मूल्य से अधिक मिल रही है। वहां खेत से खुदाई कर आलू सीधे बेचा जा रहा है। जबकि सरकारी केंद्र पर आलू का साइज मापकर ही दिया जाना है। किसानों को आलू भंडारण करना मजबूरी होगी। अगर आने वाले दिनों में भाव कम रहा तो किसानों को पिछले वर्षों की तरह की नुकसान झेलना होगा। इस बार बाजार में आलू के दाम फिलहाल अच्छे मिल रहे हैं, अभी क्षेत्र में खुदाई शुरू हुई है। कई प्रजातियों की पैदावार बढ़ गई है,अगर बाद में भाव गिर गया तो किसान बर्बाद हो जाएंगे।