बेटियों का सम्मान-देश का सम्मान
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जैनब आकिल खान
एक
रात मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैंने सोचा- चलो सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो
देखती हू।ँ मैंने जैसे ही उस पर क्लिक किया, मुझे ईव टीजिंग ऑन गर्ल्स एण्ड
रेप केस की वीडियो दिखी। मैंने जब उसे देखना शुरू किया। जस्ट उसके नीचे
मुझे अनलिमिटेड रेप केस एण्ड ईव टीजिग की वीडियों नजर आने लगी। फिर उसी में
निर्भया नाम के रेप केस की एक वीडियो निकली। जब मैंने उस वीडियो पर क्लिक
किया तो मुझे उसमें निर्भया रेप केस की फुल स्टोरी देखने को मिली। साथ ही
पब्लिक में चारों ओर एक तेजी से बढ़ती आग नजर आयी जिसमें लड़कियों की इज्जत
के लिये जनता ने एक जबरदस्त आवाज उठायी थी लेकिन उसके बाद जब मैंने देखा कि
आज उससे कहीं ज्यादा अनगिनत ईव टीजिंग एण्ड रेप केस की वीडियो आज सोशल
मीडिया पर डली हुई है। उस दिन मैं रात भर सो नहीं पायी।
मानो
जैसे किसी की चीखें मुझे रात भर परेशान कर रही हो। कोई मुझसे इंसाफ के
लिये कह रहा हो। निर्भया दिल्ली रेप केस को कितने साल हो गये। उस केस को कम
से कम 4-5 साल तो हो ही गये होंगे और कितने साल हो गये हमारे देश की आजादी
को? क्या हम इस देश को उस देश का नाम दे सकते हैं जिसका सपना महान महात्मा
गांधी हमारे बापू ने देखा था। निर्भया रेप केस को कितने साल होने को आ
गया। क्या सरकार लड़कियों पर हो रहे ज़ुल्म को रोक सकी? क्या हमारे देश के
लोगों ने लड़कियों को भूखे कुत्तों की तरह शिकार करना बन्द किया? क्या
हैवानियत से भरी लोगों की बेशर्म निगाहें शर्म से झुकी? क्या देश में लोगों
ने हर लड़की औरत की इज्जत को खिलवाड़ समझना बंद किया? इस सब का जवाब सोचकर
ही शर्म आ जाती है।
मासूम
लड़कियों को अपनी हैवानियत का शिकार बनाने वाले यह बदजात लोग एक बार यह भी
नहीं सोचते कि उन्हें पैदा करने वाली भी एक औरत ही थी। वह लोग यह क्यों
नहीं सोच पाते कि इस समाज में, इस देश में हर लड़की किसी एक न एक की अमानत
है, किसी एक की इज्जत और शान है। उस पर सिर्फ उसी का हक होगा। वे लोग यह
क्यों नहीं सोचते कि यदि उनकी बीबी जिस पर सिर्फ उनका हक है, यदि उसकी
इज्जत पर कोई और हाथ डालें तो उस पर क्या गुजरेगी। मुझे समझ नहीं आता कि
इशू खत्म होने की बजाय, बल्कि और तेजी से बढ़ता जा रहा है।
एक
बार सोशल नेटवर्किंग साइट्स खोलकर देखो तो पता चले कि हमारे देश की
बेटियों को आज के कुछ बेशर्मों ने महज अपनी हवस मिटाने का एक जरिया सा बना
लिया है। जहां भी चले जाओ, हर जगह कोई एक न एक मासूम बेटी समाज के इन
हैवानों का शिकार हुई रहती है। यह कितनी अफसोस की बात है हमारे लिये कि
अहिंसा का देश आज हैवानों का देश बनता जा रहा है। कुछ तो इतने गिरे हुये
होते हैं जो मासूम लड़कियों के रेप के बाद उन्हें मार भी डालते हैं। यहां तक
की बेटी बेटे के भेदभाव वाली मानसिकता जैसे लोग भी कितनी बेटियों को जन्म
लेने से पहले ही गर्भ में ही मरवा देते हैं। ऐसे लोगों को तो जीने का कोई
हक नहीं होना चाहिये।
हमारे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को न्यू इण्डिया बनाना चाहते हैं लेकिन सौ
बात की एक बात हमारा देश न्यू इण्डिया बनकर भी क्या होगा जब हमारे देश
हमारे समाज की लड़कियां ही सुरक्षित न हो। वह हर पल मन में एक डर लिये
निकलती हो। यह देश तब तक न्यू इण्डिया नहीं बन सकता जब तक देश की बेटियों
पर हैवानियत का यह सिलसिला खत्म नहीं हो जाता। हमारा मानना है कि इसमें
प्रशासन की पूरी लापरवाही है। सोचने की बात है। यह एक सच है। यदि किसी गरीब
लड़की के साथ रेप हो जाता है और यदि उसके घर वाले प्राथमिकी दर्ज करवाने
जाते हैं तो उनकी प्राथमिकी जल्दी दर्ज नहीं की जाती।
कहने
में शर्म आती है कि कुछ तो उसमें से ऐसी मानसिकता के भी होते हैं जो बजाय
उस पर कार्यवाही करने के उल्टा उन पर बुरी नजर डालते हैं और उन्हें गरीब
जानकर सुलह-समझौता की बात करते हैं। यह हमारे समाज की एक कड़वी सच्चाई है।
पहला मैं सीधा सवाल करना चाहूंगी प्रशासन से कि एक रेप केस के बाद एक लड़की
अपनी खुद की नजर अपने से नहीं मिला पाती लेकिन उसी लड़की पर बुरी नजर डालने
वाले लोग खुलेआम सर उठाये घूमते हैं। उनके मन में कोई खौफ क्यों नहीं होता?
शायद इसलिये, क्यांेकि उनके लिये यह आम बात हो चुकी है।
सोशल
नेटवर्किंग साइट्स पर देखा जाय तो यह साफ समझ में आ जायेगा कि आज से 4 साल
पहले निर्भया रेप केस में एक मासूम बेटी तड़प-तड़प के इस देश से चल बसी
लेकिन फिर भी आज उस देश में बदलाव का नामो-निशान तक नहीं नजर आता। मैं सीधा
कह सकती हूं कि जितनी हमें अखबारों में, जितनी टीवी पर, जितनी सोशल मीडिया
पर लड़कियों पर अत्याचार की वीडियोज देखने को मिलेगी, उतनी कोई और वीडियोज
नहीं मिलेगी। यहां तक कि मैं एक शर्मनाक सच भी उजागर करना चाहती हूं कि
समाज के न जाने कितने सफेदपोश लोग लड़कियों का सौदा कर लेते हैं। महज अपनी
हवस मिटाने के लिये उन्हें इसकी जरा फिक्र नहीं होती कि वह लड़की किसी दूसरे
की इज्जत है।
लानत
है ऐसे लोगों पर जो एक लड़की के जिस्म को एक खिलौना समझते हैं लेकिन उन पर
अंगुली उठाने वाला कोई नहीं। सिर्फ इसलिये कि उनके पास हैसियत है। वह बड़े
लोग हैं। उनका रसूख इतना होता है कि बाज औकात लिखी हुई रपट से मजलूम लड़की
का नाम पता सब मिट जाता है। इंसाफ तो फिर दूर की बात है। हमारे देश भारत
में न जाने कितने राम-रहीम जैसे लोग आश्रम खोले बैठे हैं और उस आश्रम के
नाम पर लड़कियों का धंधा चलता है। यह सब तो एक मतलब सच है।
इसके
अलावा जो सच है, स्कूल में क्या हो रहा है। कहीं न कहीं, कोई न कोई लड़की
अपने ही स्कूल के टीचर का शिकार हो जाती है। कहीं अकेली जाती लड़की को देख 4
लड़के घेर करके रेप कर देते हैं। इतना ही नहीं, कितने तो जान भी लेते हैं।
इस बस बातों को अब अगर जोड़ा जाय तो एक ही बात निकलती है कि गांधी और पटेल
के बनाये देश में आज लड़कियां ही सुरक्षित नहीं हैं। उन्हें आजादी मिलकर भी
आजादी नहीं है, क्योंकि वह जानती है कि हम घर से बाहर कालेज या आफिस भी
जायेंगे तो रास्ते में कई लोग कुत्तों की तरह अपनी भूख मिटाने के लिये उन
पर गंदी नजर डालेंगे।
कुछ
का मानना यह है कि बड़े-बड़े शहरों में ऐसे गैंगरेप जैसे इश्यूज ज्यादा
देखने को मिलते हैं तो दूसरी ओर कुछ का कहना है कि छोटे शहर में लोगों की
छोटी सोच के कारण ही ऐसे हादसे अंजाम पाते हैं लेकिन हमारे नजदीक आज अपने
इस देश में ऐसी कोई जगह नहीं जो लड़कियों के लिये सुरक्षित हो। सोचने की बात
है कि हमारे देश का यह एक अहम मुद्दा बन चुका है लेकिन अभी तक हमें इस पर
कोई फैसला कुन कदम उठता नहीं नजर आया। देश की इज्जत देश की बेटियों से ही
होता है। अन्त में चंद लाइन मजलूम बेटियों के लिये- ‘चाहे जितना संवार लें
इस देश को आज की ये हुकूमत, लड़कियों की इज्जत ही न बचा पाये तो क्या देश
संवारा।
न्यू
इण्डिया तो भारत सौ सौ बार भी बन जायेगा लेकिन हैवानों से भरा आज का यह देश
क्या फिर से वह बापू का देश कहलाये पायेगा। प्रशासन से क्या उम्मीद करें।
कुछ रेपिस्ट तो पैसे वाले भी होते हैं। रिश्वतखोरी भरी है इस देश में। भला
पैसे वालों को कोई क्यों फंसायेगा। चलो उठो, खुद ही हाथ जानते हैं।
एक-दूसरे की इज्जत बचाने हम खुद ही आगे आते हैं। साहस है अपने अंदर एक बार
साहस करो। फिर हमें एक-दूसरे की इज्जत बचाने से कौन रोक पायेगा। ना नजर
अंदाज करो, ना रहो खामोश, जिधर देखो, यह अपराध बेखौफ होकर उनकी हैवानियत पर
वार करो। जो एकजुट हो गये हम एक आग बनकर फिर मजाल क्या कोई किसी लड़की की
इज्जत पर हाथ डाल पायेगा।
जैनब आकिल खान
सम्पर्क सूत्र- 9838740521