जहां से गुजरते चमक छोड़ जाते मौलाना महमूदुल हसन

 जौनपुर। मौलाना महमूदुल हसन खां की याद में सोमवार को कोतवाली चौराहे पर शोक सभा का आयोजन किया गया जिसमें सर्वधर्म और सभी दलों के लोगों ने शिरकत की। वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताई गई।
शायर अहमद निसार और अकरम जौनपुरी ने उनकी ¨जदगी पर आधारित नज्म व शेर प्रस्तुत किए। उनके बेटे मौलाना महफुजुल हसन खां की उपस्थिति में पंडित अवधेश चतुर्वेदी ने कहा कि मौलाना ऐसे बुजुर्ग थे जिनसे मशवरा लेने के बाद सभी कार्य आसानी से हो जाते थे। व्यक्ति अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेता था। मदरसा हुसैनिया के मौलाना असद कासिमी ने कहा कि उनकी शख्सियत सूरज की तरह थी। वे जहां से गुजरते चमक छोड़ जाते थे। मल्हनी विधायक पारसनाथ यादव ने कहा कि वे सभी धर्म का सम्मान करते थे। नि:संकोच होकर सच बोलते थे। पूर्व विधायक अरशद खां ने कहा कि उनके जैसा व्यक्तित्व सदियों में पैदा होता है। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष हरिश्चंद्र ¨सह ने कहा कि वे बहुत ही सादा व सरल जीवन जीते थे। बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रामफेर गौतम ने कहा कि उनकी बेबाकी का कोई जवाब नहीं था। दीवानी बार के पूर्व मंत्री कामरेड जयप्रकाश ¨सह ने कहा कि जब कोई राजा मरता है तो वह बस अपनी सीमा तक सीमित रहता है, जब कोई ज्ञानी, दार्शनिक या धर्मगुरु मरता है तो क्षति विश्व व्यापी होती है। मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने कहा कि ऐसे व्यक्ति सदियों में पैदा होते हैं। अध्यक्षता कर रहे पूर्व विधायक हाजी अफजाल अहमद ने कहा कि वे सांप्रदायिक सौहार्द बनाने की बहुत बड़ी कड़ी थे। संचालन मेहदी रजा व आभार आयोजक डा. हसीन बबलू ने जताया। निखिलेश ¨सह, मोतीलाल यादव, इंद्रभान ¨सह इंदू, नियाज ताहिर, मजहर आसिफ, श्रवण कुमार जायसवाल, कमालुद्दीन अंसारी, सैयद शम्स अब्बास, फिरोज अहमद आदि रहे।

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