भावुकता नारी का स्वाभाविक गुण : शशि आर्या
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जौनपुर।
आर्य समाज के चर्तुदिवसीय वार्षिकोत्सव के अवसर पर ऋग्वेदीय यज्ञ की
पूर्णाहुति के उपलक्ष्य में प्रात:कालीन सत्र में विशेष रूप से राज्य
मंत्री गिरीश चन्द्र यादव, पतंजलि योग समिति के प्रान्त प्रभारी सुरेन्द्र
कुमार, आलोक कुमार कुणार्क, प्रधान देवेन्द्र नाथ के साथ सैकड़ों लोगों ने
वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ यज्ञाग्नि की उपासना की। पूर्णाहुति के
पश्चात महिला सम्मेलन के अन्तर्गत वक्ताओं में स्वामी शंकर मुनि, डा0
शिवदत्त पाण्डेय, डा0 शिव प्रसाद मिश्र, जुगुल किशोर त्रिपाठी, श्रीमती
शोभा श्रीवास्तव, श्रीमती मीरा, श्रीमती पूजा आदि ने नारी शक्ति की प्रशंसा
करते हुए महिलाओं की सामाजिक समरसता में भूमिका तथा परिवार के कार्य में
उनके नैतिक उत्तरदायित्वों को लेकर उनका मार्गदर्शन किया। मुख्य अतिथि
पतंजलि योग समिति की महिला प्रान्त प्रभारी शशि आर्या ने कहा कि भावुकता
नारी का स्वाभाविक गुण है किन्तु इतनी भावुकता ठीक नहीं कि कोई आपका शोषणा
करे। कभी बिल्ली के रास्ता काटने पर यात्रा न करना, टोकने पर बुरा मानना,
खाली बाल्टी देखकर यात्रा स्थगित करना देना, ग्रहों को विपत्ति का कारण
बताना आदि कुरीतियां हैं। इन पर भरोसा करने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
बिना जाने किसी के सामने समर्पण नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नारी घर
के चौखट पर रखे दीपक के समान होती है जो अन्दर व बाहर दोनों ओर उजाला करती
है। इसी प्रकार नारियां पितृकुल व पतिकुल दोनों में प्रकाश फैलाती हैं
किन्तु मर्यादा न होने पर दोनों में अंधेरा कर देती हैं। आज की तिथि में
महिलाएं सर्वोच्च पदों पर रहते हुए पुरूषों से एक कदम आगे जाकर अपने शौर्य
का प्रदर्शन भी किया है। उत्सव के समापन अवसर पर गुरूकुल धनपतगंज
सुल्तानपुर के आचार्य डा0 शिवदत्त पाण्डेय, शंकर मुनि वानप्रस्थ, पं0 जुगुल
किशोर ने वेद को धर्म का मूल बताते हुए कहा कि सारे कष्टïों का कारण
अज्ञानता है। सत्य ज्ञान वेद से ही प्राप्त होगा। प्रत्येक प्राणी को अपने
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका अनुसरण करना चाहिए। अन्त में पं0 जुगुल
किशोर ने धर्नुर विद्या का प्रदर्शन करते हुए शब्दवेदी बाण का प्रदर्शन
किया। प्रधान देवेन्द्र नाथ ने सभी आगन्तुकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित
किया।