जौनपुर के बेटे की शहीद होने खबर मिलते ही गांव में मचा कोहराम
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जौनपुर । जिले का एक और लाल आज देश की सेवा करते समय छत्तीसगढ़ प्रांत के सुकमा जिले में नक्सली हमले में शहीद हो गया। यह मनहूस खबर जिले में पहुंचते ही शोक की लहर दौड़ पड़ी है। उसके घर में कोहराम मच गया है। हर तरफ उसके करूणा क्रन्दन से पूरे इलाके में मातमी भरा सन्नाट पसर गया है। उनके नाते रिश्तेदार शोकसवेदन प्रकट करने के लिए शहीद के गांव पहुंच रहे है ।
जिले के मीरगंज थाना क्षेत्र के करियांव गांव के निवासी स्व0 जिलाजीत विन्द के दूसरे नम्बर का पुत्र राजेश कुमार विन्द सन् 2006 में सीआरपीएफ में कास्टेबल पर तैनात हुए थे। 2012 में हुई विभागीय परीक्षा में वे एसआई पद हासिल कर लिया है। वे मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में कोबरा बटालियन में तैनात थे। आज सूबह करीब साढ़े आठ बजे कांकेरलंका और पुसवाड़ा के बीच नक्सलियों द्वारा विछाई गयी आईईडी ब्लास्ट में शहीद हो गये। यह मनहूस खबर उनके गांव पहुंचते ही कोहराम मच गया। राजेश की मौत के बाद उसकी पत्नी उषा के मांग का सूनी हो गयी है और एकलौते पुत्र अपने के सिर से पिता छाया छिन गया है। मौके पर एसडीएम और स्थानीय थाने की पुलिस गांव पहुंचकर परिवार वालो को आश्वासन दिया। जहां एक तरफ अपने लाल का खोने का गम है वही उनकी शहादत पर गर्व भी है।
सबसे बड़े भाई सुरेश घर पर ही रहते हैं, जबकि तीसरा भाई कृष्णकांत लोको पायलट है। चौथा भाई आशीष पालीटेक्निक की पढ़ाई कर रहा है। पिता जिलाजीत मुंबई में रहते थे, जिनकी 31 अक्टूबर 2012 को मौत हो गई। शहीद राजेश विवाहित हैं। दो दिन पहले ही घर पर लोगों से बात के दौरान उन्होंने बताया था कि पांच को वह घर आ रहे हैं। राजेश वर्ष 2006 में सीआरपीएफ की 206 कोबरा बटालियन में एसआई के पद पर नियुक्त हुए थे।
राजेश की शादी सन् 2006 में उषा से हुई थी। उनका एकलौता पुत्र अमन है जिसकी उम्र मात्र दस वर्ष ही है।
जिले के मीरगंज थाना क्षेत्र के करियांव गांव के निवासी स्व0 जिलाजीत विन्द के दूसरे नम्बर का पुत्र राजेश कुमार विन्द सन् 2006 में सीआरपीएफ में कास्टेबल पर तैनात हुए थे। 2012 में हुई विभागीय परीक्षा में वे एसआई पद हासिल कर लिया है। वे मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में कोबरा बटालियन में तैनात थे। आज सूबह करीब साढ़े आठ बजे कांकेरलंका और पुसवाड़ा के बीच नक्सलियों द्वारा विछाई गयी आईईडी ब्लास्ट में शहीद हो गये। यह मनहूस खबर उनके गांव पहुंचते ही कोहराम मच गया। राजेश की मौत के बाद उसकी पत्नी उषा के मांग का सूनी हो गयी है और एकलौते पुत्र अपने के सिर से पिता छाया छिन गया है। मौके पर एसडीएम और स्थानीय थाने की पुलिस गांव पहुंचकर परिवार वालो को आश्वासन दिया। जहां एक तरफ अपने लाल का खोने का गम है वही उनकी शहादत पर गर्व भी है।
सबसे बड़े भाई सुरेश घर पर ही रहते हैं, जबकि तीसरा भाई कृष्णकांत लोको पायलट है। चौथा भाई आशीष पालीटेक्निक की पढ़ाई कर रहा है। पिता जिलाजीत मुंबई में रहते थे, जिनकी 31 अक्टूबर 2012 को मौत हो गई। शहीद राजेश विवाहित हैं। दो दिन पहले ही घर पर लोगों से बात के दौरान उन्होंने बताया था कि पांच को वह घर आ रहे हैं। राजेश वर्ष 2006 में सीआरपीएफ की 206 कोबरा बटालियन में एसआई के पद पर नियुक्त हुए थे।
राजेश की शादी सन् 2006 में उषा से हुई थी। उनका एकलौता पुत्र अमन है जिसकी उम्र मात्र दस वर्ष ही है।