रेडक्रास को मिला है तीन बार नोबुल पुरस्कार

  जौनपुर। विश्व रेडक्रास दिवस पर आर्शीवाद हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर पर आयेाजित गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए डा0 विनोद कनौजिया ने कहा कि युद्ध की विभिषिका ने विश्व शान्ति की इच्छा को जन्म दिया। वर्ष 1859 युद्ध में मृतक अथवा घायल सैनिकों को सेवा का भाव एक महिला हेनरी ड्युमेण्ट के मन मे ंजगा, उसने अपने कारोबार को बन्द कर मानवता की सेवा के लिए एक संस्था का गठन किया। कई बार इसका नाम बदलने के बाद आज उसका नाम रेडक्रास हो गया है। उन्होने कहा कि दुनियां के 168 देश इससे जुड़े है। संस्था को 1917,1944 व 1963 में नोबुल पुरस्कार मिला। डा0 अंजू कन्नौजिया ने कहा कि रेडक्रास दिवस पूरी दुनियां में आठ मई 1948 से मनाया जाता है। विश्वभर में 10 करोड़ वालंटियर इस आन्दोन में मानवता की सेवा से जुड़े है। वे आज जहां है वहीं सेवा कर पुण्य अर्जित कर रहे है। पीड़ित मानवता की सेवा से एक अलग पहचान बनती है। मो0 असलम, अशोक कन्नौजिया, अजहर, प्रेम यादव, सुनील, गंुजन श्रीवास्तव, कुलवन्त, अशोक आदि उपस्थित रहे । मैनेजर धर्मराज कन्नौजिया ने आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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