नीरज की मृत्यु हिंदी साहित्य की अपूरणीय क्षति
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जौनपुर।
सरजू प्रसाद शैक्षिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था जज कॉलोनी के तत्वाधान
में राष्ट्र के महान गीतकार पदम श्री गोपालदास नीरज को की पावन स्मृति में
एक भव्य श्रद्धांजलि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता
पूर्व अध्यक्ष कलेक्ट्रेट अधिवक्ता संघ श्री सुरेंद्र बहादुर सिंह द्वारा
किया गया। रचनाकार गिरीश श्रीवास्तव ‘‘गिरीश’’ ’’धूप और छाव की कथा है
जिंदगी, उम्र भर की सहेली व्यथा है जिंदगी, जिंदगी जिंदगी की तरह से जिए
भार हो जाएगी अन्यथा जिंदगी’’ अरविंद सिंह बेहोश जौनपुरी ’’मधमाशी दिवस के
बीत जीवन नवगीत हो गया, आशा के सब कुछ विपरीत जीवन नवगीत हो गया, नदियों के
वेग को रोके विज्ञान है अपनी उपलब्धियों पर उसको अभिमान है हार भी समझता
है गीत जीवन नवगीत हो गया’’ कार्यक्रम का संचालन कर रहे सभाजीत द्विवेदी
’’प्रखर’’ ने रचना चलना ही जिंदगी जिंदगी का तो आदर्श है पर कहां तक चलें
तब जब किनारा नहीं नॉव कमजोर है वायु प्रतिकूल है साथ धारा नही’’ कार्यक्रम
के मुख्य अतिथि डॉक्टर पी सी विश्वकर्मा कहा ’’न हमको राह न रहबर फरेब
देता है हमें तो अपना मुकद्दर फरेब देता है कभी गुहर कभी हीरा कभी सनम बन
कर तरह तरह से यह पत्थर फरेब देता है ये हमने कब कहा है खतावार हम नही है
करते है अपने जुर्म से इनकार हम नहीं हम तो सदाए हक हैं लगाएगा कौन दाम
पैरों की घुंघरूओं की झंकार तो नहीं’’ विशिष्ट अतिथि पंडित रामकृष्ण
त्रिपाठी ने नीरज के गीत मानव होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य। नीरज इस युग
के सबसे जनप्रिय गीतकार थे। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आदित्य प्रसाद उपाध्याय
ने कहा नीरज मानवतावादी दृष्टिकोण के कवि थे उनके स्वर में विद्रोह था
उन्होंने कभी किन्हीं परिस्थितियों में अपने विचारों से समझौता नहीं किया।
नीरज की यह पंक्तियां ’’गर चिरागों की हिफाजत फिर उन्हें सौंपी गई रोशनी मर
जाएगी केवल धुॅआ रह जाएगा’’ समाजसेवी राजबहादुर सिंह ने नीरज पर कई
संस्मरण विस्तार से सुनाया और बताया कि नीरज जी एक राष्ट्रवादी कवि थे।
वरिष्ठ अधिवक्ता जितेंद्र उपाध्याय ने कहा कि कारवां गुजर गया गुबार देखते
रहे मैं नीरज जी के इन गीतों से बचपन से ही प्रभावित रहा। कलेक्टेªट
अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री सुरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि नीरज
को सुनने के लिए मैं मीलों पैदल जाकर रात-रात भर जग कर सुनता रहा हूं नीरज
की मृत्यु हिंदी साहित्य की अपूरणीय क्षति है। ऐसे कवि युगों के बाद धरती
पर पैदा होते हैं कार्यक्रम के संयोजक सामाजिक कार्यकर्ता पूर्व अध्यक्ष
बाल न्यायालय संजय उपाध्याय ने कहा कि नीरज का यह देश और साहित्य सदा ऋणी
रहेगा। उन्होंने अपनी प्रतिभा से हिंदी साहित्य का सम्मान पूरे विश्व में
बढ़ाया है। नीरज के गीत युगों युगों तक अमर रहेगें। कार्यक्रम में मुख्य
रूप से मनोज श्रीवास्तव, सिद्धनाथ पांडये, दिनेश मोर्य, लक्ष्मी नारायण
यादव, इंद्रजीत उपाध्याय, हिमांशु उपाध्याय, अविरल सिंह, कृष्णा उपाध्याय,
हर्षवर्धन द्विवेदी इत्यादि लोग शामिल रहे। अंत में कार्यक्रम संयोजक संजय
उपाध्याय एवं गिरीश श्रीवास्तव ने आये हुए लोगों का आभार व्यक्त किया गया।

