अब आम लोग बतायेगें एम्बुलेन्स का सच

जौनपुर । एंबुलेंस सेवाओं पर अब सरकर की नजर है। सरकार ने इस सेवा का थर्ड पार्टी से मूल्यांकन कराने का निर्णय लिया है। पूरे प्रदेश में होने वाले एंबुलेंस सेवाओं के मूल्यांकन के लिए सिफ्सा ने लखनऊ की एक संस्था को जिम्मेदारी दी है। इस संस्था के पदाधिकारी अब आम जनता के बीच जाकर यह परखेंगे कि उन्हें एंबुलेंस सेवा का लाभ किस तरह से मिल रहा है। मसलन, कितनी देर में एंबुलेंस पहुंच रही है, कॉल का रिस्पांस क्या है, एंबुलेंस में आवश्यक दवाओं की उपलब्धता है या नहीं. जैसे सवालों से आम आदमी से लेकर पुलिस अधिकारियों से भी राय ली जाएगी। दरअसल, जिले में 102, 108 व एएलएस सेवा की एंबुलेंस शामिल है। इन एंबुलेंस को कॉल करने पर 15 से बीस मिनट में रिस्पांस देने का निर्देश है। बावजूद इसके आए दिन यह शिकायतें आ रही है कि कॉल के बाद मरीजों को समय से एंबुलेंस सेवा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिससे मरीजों को निजी साधनों से अस्पताल जाना पड़ रहा है। ऐसे में मरीजों को मुश्किल हो रही है। अभी पिछले दिनों आयुक्त सुधेश कुमार ओझा ने एंबुलेंस सेवाओं में एक बड़ी गड़बड़ी पकड़ी थी, जिसमें मात्र छह मिनट में सेवा देने का दावा किया गया था। इसकी जांच के आदेश दिए गए थे लेकिन अधिकारियों ने कोई जांच नहीं की। नतीजन, स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। अब सिफ्सा के अधिशासी निदेशक पंकज कुमार ने एंबुलेंस सेवाओं की पड़ताल थर्ड पार्टी से कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए कंपनियों को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। सीएमओ का कहना है, शासन स्तर पर यह निर्णय लिया गया है। जिसके क्रम में आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं।  एंबुलेंस सेवाओं के बारे में टीम के सदस्य नेताओं से भी मिलेंगे। साथ ही डीएम व एसपी के साथ ही अन्य अफसरों से भी राय मशविरा करेंगे। इसके बाद अधिकारियों को रिपोर्ट देंगे। इससे एंबुलेंस सेवाओं का कच्चा चिट्ठा निकलकर सामने आ जाएगा।

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