भरत का विलाप देखकर गमगीन हो गये दर्शक
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जौनपुर। रामलीला
समिति हुसेनाबाद द्वारा रविवार को स्थानीय कलाकारो द्वारा भरत आगमन,भरत
मनावन और नक्कटैया का मंचन किया गया। पहले दृश्य में भरत ननिहाल से अयोध्या
पहुंचते है जब उनको मालूम होता है कि मुझे अयोध्या का राजा बनाने के लिए
माता कैकेई ने राम लक्ष्मण को वनवास भेज दिया है। इसी गम में पिता राजा
दशरथ का स्वर्गवास हो गया तो भरत का विलाप और प्रतिक्रिया देखकर दर्शक
गमगीन हो गये। उसके बाद भरत शत्रुघन पूरे परिवार के साथ राम को मनाने के
लिए जंगल जाते है लेकिन भरत के लाख मनाने के बाद भी राम वापस नही लौटते है
तब भरत राम की खड़ाऊ लेकर वापस अयोध्या लौट आते है। तीसरे दृश्य में सुपुणखा
राम लक्ष्मण को देखकर सम्मोहित हो जाती है। वह दोनो भाईयों को रिझाने के
लिए सुन्दरी का रूप धारण करके दोनो राजकुमार के पास जाती है। पहले राम से
शादी करने का आवाह्न करती है। राम ने उसे बताया मैं तो शादी शुदा हूं उसके
बाद सुपुणखा लक्ष्मण को सम्मोहित करने के लिए नाच गाकर खुब रिझाती है। इसके
बाद भी वह सफल नही हुई तो उसने सीता को खा जाने के लिए असली रूप धारण करके
दौड़ती। उसका मनसूबा भांपकर लक्ष्मण ने उसकी नाक कान काट दिया। सुपणखा का
नाक कटते ही पूरा े पण्डाल जय श्री राम के नारो से गुंज उठा।
राम का किरदार शिवम उपाध्याय, लक्ष्मण शुभम उपाध्याय, भरत का रोल गंगन तिवारी, शत्रुघन का पाठ रिशू श्रीवास्तव ने किया। सीता उत्कर्ष मिश्रा और सुपुणखा का रोल गोलू रावत ने किया।
रामलीला की शुरूआत अध्यक्ष संतोष शुक्ला द्वारा राम,लक्ष्मण और सीता की आरती से हुई। मंच का संचालन प्रबंधक अमित श्रीवास्तव ने किया।
राम का किरदार शिवम उपाध्याय, लक्ष्मण शुभम उपाध्याय, भरत का रोल गंगन तिवारी, शत्रुघन का पाठ रिशू श्रीवास्तव ने किया। सीता उत्कर्ष मिश्रा और सुपुणखा का रोल गोलू रावत ने किया।
रामलीला की शुरूआत अध्यक्ष संतोष शुक्ला द्वारा राम,लक्ष्मण और सीता की आरती से हुई। मंच का संचालन प्रबंधक अमित श्रीवास्तव ने किया।
