कालरात्रि के पूजन को उमड़ी भीड़

जौनपुर । जिले में नवरात्र के सातवे दिन मंगलवार को कालरात्रि के पूजन दर्शन के लिए शक्तिपीठों से लेकर पूजा पण्डालों तक भारी भीड़ लगी रही और माता के जयकारे से जनपद गुंजायमान हो गया। सवरे से ही मां शीतला धाम चैकिया और मैहर देवी परमानतपुर में श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहा। मां के पूजा आराधना का सिलसिला देर रात तक चलता रहा । शाम होते ही पूजा पण्डालों में भीड़ बढ़ने लगी, टोली बनाकर महिला पुरूष अनवरत दर्शनार्थ आते रहे। ज्ञात हो कि  दुर्गा के सातवें रूप या शक्ति को कालरात्रि कहा जाता है. दुर्गा-पूजा के सातवें दिन मां काल रात्रि की उपासना का विधान है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, इनका वर्ण अंधकार की तरह काला है, केश बिखरे हुए हैं. कंठ में विद्युत की चमक वाली माला है. मां कालरात्रि के तीन नेत्र ब्रह्माण्ड की तरह विशाल और गोल हैं, जिनमें से बिजली की तरह किरणें निकलती रहती हैं. इनकी नासिका से श्वास और निःश्वाससे अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं. मां कालरात्रि का यह भय उत्पन्न करने वाला रूप केवल पापियों का नाश करने के लिए होता है. कालरात्रि गर्दभ पर सवार हैं. देवी कालरात्रि का यह विचित्र रूप भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है इसलिए देवी को शुभंकरी भी कहा गया है। पूजा विधान में शास्त्रों में जैसा लिखा हुआ है उसके अनुसार पहले कलश की पूजा करनी चाहिए. फिर नवग्रह, दशदिक्पाल, देवी के परिवार में उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए फिर मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए. देवी की पूजा से पहले उनका ध्यान करना चाहिए. दुर्गा पूजा का सातवां दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले भक्तों के लिए अति महत्वपूर्ण होता है. सप्तमी पूजा के दिन तंत्र साधना करने वाले साधक मध्य रात्रि में देवी की तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं. इस दिन मां की आंखें खुलती हैं. षष्ठी पूजा के दिन जिस विल्व को आमंत्रित किया जाता है उसे आज तोड़कर लाया जाता है और उससे मां की आंखें बनती हैं. दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि का काफी महत्व बताया गया है. इस दिन से भक्त जनों के लिए देवी मां का दरवाजा खुल जाता है और भक्तगण पूजा स्थलों पर देवी के दर्शन हेतु पूजा स्थल पर जुटने लगते हैं। सप्तमी की पूजा सुबह में अन्य दिनों की तरह ही होती लेकिन रात में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है. इस दिन अनेक प्रकार के मिष्टान और कहीं कहीं तांत्रिक विधि से पूजा होने पर मदिरा भी देवी को अर्पित किया जाता है. सप्तमी की रात ‘सिद्धियों’ की रात भी कही जाती है. कुण्डलिनी जागरण हेतु जो साधक साधना में लगे होते हैं वो इस दिन सहस्त्रसार चक्र का भेदन करते हैं। नगर क्षेत्र के बेगमगंज चुंगी स्तिथ श्री सार्वजनिक माँ दुर्गा पूजा समिति  द्वारा विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया जिसमे दर्शन-पूजन करने वालों की भीड़ रही । वही देवी गीतों और मां के जयकारे से पूरा क्षेत्र भक्तिमय रहा।  दुर्गा पंडाल मां के जयकारों से गूंजते रहे। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विशेष पूजन-अर्चन का दौर जारी रहा।

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