इबादत की रात है शब -ए -बरआत :मौलाना वसीम
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जौनपुर। इस्लामी महीने शबान के चौदवी तारिख की रात को शब ए बरआत के रूप में इस्लाम के मानने वाले लोग मनाते हैं ।
यह रात इबादत की रात है, इस रात को की गई इबादत की नेकी अल्लाह की तरफ से उसके बंदो को कई गुना ज्यादा नेकी के रूप में दी जाती है।
शबे बरआत के दिन लोग सुबह से ही अपने घरों में साफ सफाई करने में जुट जाते हैं।
मकबरा ,मजारों ,कब्रस्तानो को भी रंग रोगन करके सजाया और संवारा जाता है इस रोज घर की महिलाएं घर पर मीठा हलवा भी बनाती हैं।
मुस्लिम बंधु लोग अपने खानदान व घरों के बुजुर्गों की कब्रों पर जाकर फातिहा पढ़ते हैं और मजार एवं मकबरो पर भी जा कर फातेहा और दरूद भेज कर उनके हक में अहसाले सवाब पहुंचाने का काम करते हैं ।
जौनपुर में भी बड़ि मस्जिद, अटाला मस्जिद, शेर मस्जिद किले की मस्जिद,लाल मस्जिद, और दूरदराज गांव और मोहल्लों की मस्जिदों में रात भर लोग नफिल की नमाज व तिलावते कलाम ए पाक में मशगुल रहे।
इसी सिलसिले में लोगों ने हमजा चिश्ती व जफराबाद स्थित हाजी हरमेन की मजार पर जाकर भी फातेहा पढ़ी व वहाँ स्थित मस्जिद मे अल्लाह की इबादत की ।
लाल दरवाजा स्थित मदरसा हुसैनिया के मशहूर मौलाना वसीम शेरवानी ने बताया कि शबे बरात की रात खालिस इबादत की रात है ,इस रात को लोगों को चाहिए कि वह अपने गुनाहों का पश्चाताप करें और ज्यादा से ज्यादा इबादत करें क्योंकि इस रात को की गई इबादत की नेकी और रातों के बदौलत कई गुना अधिक मिलती है।