पाउच का पानी पीने से हो सकते हैं बीमार
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जौनपुर। अगर आप पाउच का पानी पी रहे हैं तो सावधान हो जाएं, क्योंकि इस दूषित पानी को पीने से आप बीमार पड़ सकते हैं। गर्मी में अधिक बिक्री होने के चलते इस कारोबार से जुड़े लोगों द्वारा पुराने स्टॉक खपाया जा रहा है। लेकिन, जिम्मेदार विभागों को इसकी फिक्र नहीं।आसमान से बरस रही आग ने सोमवार को सभी को झकझोर दिया है। भीषण गर्मी के साथ ही लोग पीने के पानी को भी परेशान हो गए हैं। पेयजल की अधिक खपत के चलते जिला मुख्यालय सहित सभी कस्बों ही नहीं अन्य स्थानों पर भी पानी के नाम पर जहर बेचने वाले सक्रिय हो गए है। विभिनन क्षेत्रों के सार्वजनिक स्थलों पर छोटी-बड़ी दुकानों, ठेलों पर धड़ल्ले से खराब पानी के पाउच बिक रहे हैं। कई क्षेत्र में प्लांट के अलावा कई अन्य ब्रांड के भी पाउच की सप्लाई है, लेकिन हाल सभी जगह एक जैसा है। प्लांट संचालकों की ओर से मानकों को ताक पर रखकर पानी के पाउच की पैकिग कराई जा रही है। बिकने वाले अधिकांश पानी के पाउच पर पैकिग की तिथि तक अंकित नहीं होती है और न ही एक्सपायरी डेट। इसके अलावा इन खराब पानी के पाउचों पर बैच संख्या भी नहीं लिखी हुई है। प्लांट संचालक ग्राउंड वॉटर का इस्तेमाल पानी के पाउच भरने के लिए करते हैं। पॉलीथिन में पैक होने के बाद पानी और अधिक हानिकारक हो जाता है, जबकि दुकानदार भी इन पाउचों को तेज धूप में कई दिनों तक रखने के बाद फ्रिज में ठंडा करके बेचते हैं। इस तरह का पानी पीने के योग्य नहीं है और शीघ्र ही हर क्षेत्र में जांच कर कार्रवाई की जरूरत है लेकिन खाद्य विभाग इस ओर ध्यान देने की जहमत गवारा नहीं करता और लोग प्रदूषित पानी पीकर रोगों की चपेट में आ रहे है। ज्ञात हो कि पानी बिक्री करने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के नियम तो सख्त हैं। इसके लिए सबसे पहले भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) प्रमाण पत्र दिया जाता है। इसके लिए प्लांट के पानी का नमूना लेकर बीआइसी कानपुर भेजा जाता है। पानी के नमूने के बाद प्रमाण पत्र के लिए करीब एक लाख रुपये की फीस भी जमा करनी पड़ती है। इसके बाद एक साल के लिए पानी की बिक्री के लिए प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है। इसके बाद बीआइसी प्रमाण पत्र की प्रति के साथ खाद्य विभाग के लाइसेंस के लिए आवेदन किया जाता है। खाद्य विभाग अपनी फीस लेकर लाइसेंस जारी कर देता है।