ट्युशन की फीस से लगा दिए हजारों पौधे

अखिलेश सिंह
जफराबाद(जौनपुर) पर्यावरण की सुरक्षा तथा प्रकृति की सुंदरता के लिए हर युवा इसी तरीके से चिंतित होकर कदम बढ़ा ले तो पृथ्वी पर भारत हरियाली के मामले में सबसे सुंदर राष्ट्र होगा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। जनपद जौनपुर के जफराबाद नगर पंचायत में रहने वाले नौजवान युवा अरविंद कुमार सिंह की, इनका कारनामा प्रेरड़ा लेने योग्य है। ट्यूशन पढ़ा कर प्राप्त फीस से खरीद कर चार वर्षों में दस हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। हजारों पौधे लगाने में अपनी ट्यूशन की कमाई के लाखों रुपए लगा चुके हैं। पौधों को इन्होंने तमाम भूस्वामियों के यहां खेतों के किनारे खुद अपने श्रम से लगाये हैं। उक्त कार्य को पिछले चार वर्षों से बारिश के महीने में करते चले आ रहे है। वर्ष 2014 में दो हजार पौधों से शुरुआत किये, 2015 में तीन हजार व् 2016 में पांच हजार पौधे लगाये। 2017-18 में एक हजार तथा 2019 में पौधे लगा रहे हैं। इस वर्ष भी हजारों पौधे का लक्ष्य  है। इनसे प्रभावित होकर क्षेत्र के तमाम युवा पौधरोपण करने मेंं रुचि लेने लगे है। जफराबाद के रसूलाबाद निवासी बजरंगबली प्रजापति ने इनका साथ और संगत कर पौधों से प्रेम कर लिया। बजरंग बली इन से प्रेरित होकर अपने पास मौजूद लगभग डेढ़ एकड़ भूमि में वर्ष 2018 के बारिश के महीने में दर्जनों पौधरोपण कर सुरक्षित बचा लिये। उक्त लगाए गए पौधे हरियाली की तरफ बढ़ चुके हैं। क्षेत्र के हौज गांव निवासी अध्यापक प्रद्युम्न सिंह इन से प्रेरणा लेकर पौधरोपण करना शुरू कर दिये हैं। अहमदपुर गांव के अजीत कुमार सिंह,राघवेंद्र प्रताप सिंह तथा सौरभ सिंह ने भी इन से प्रेरणा लेते हुए अपने पास मौजूद भूमि में सैकड़ो पौधे लगा दिए है।
इनके द्वारा हौज गांव में सबसे अधिक पौधे लगाए गए है। चार वर्ष पूर्व पहली शुरुआत उक्त गांव निवासी अध्यापक प्रद्युम्न सिंह के यहां किये। चार बीघे में सैकड़ो पौधे लगाये। सभी पौधे आज लहलहा रहे हैं। इसी गांव के अन्य बस्तियों में कई भूस्वमियों के यहाँ सैकड़ो पौधे लगाये। सभी पौधे बृक्ष होने को तैयार हैं। ग्राम अहमदपुर में राहुल सिंह , अजीत सिंह , समज्ञा सिंह, सौरभ सिंह, सुँगुलपुर गांव में रिंकू सिंह के यहां व् अन्य कई गावो में तमाम पौधे लगाये गए है।
इनके पास डिग्रियों की भरमार है। इंजीनियरिंग की पढाई के बाद तिलकधारी महाविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन तथा एल.एल.एम की पढ़ाई की किये। अच्छे वक्ता, कवि व् लेखक भी है। कई नेशनल व् इंटरनेश्नल सेमिनारों में इनको पुरस्कृत भी किया गया है। नौकरी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा की जो मैं कर रहा हूँ ये भी एक नौकरी ही है। जुलाई माह वर्ष 2019 यानी इसी माह में इनको तिलकधारी महाविद्यालय ला कॉलेज में अस्थाई तौर पर बच्चों को शिक्षा दे रहे है।


पौधों को लगाने व् बचाने की बनाई योजना।

मेहनत व् पैसा लगाकर निःशुल्क पौधे लगाने के पीछे कारण पूछे जाने पर इन्होंने जो योजना बताई की लाजवाब लगा। पेड़ो की कटाई के पीछे मनुष्य का लालच व् धनार्जन करना है। मैंने भी वही किया, निःषुल्क सीसम व् महंगे फलदार व छायादार पौधा लगाकर लोगो को लाभ का सपना दिखाया। वर्षो बाद उत् सभी पौधे बिना पैसा लगाए बैंक में किये गए फिक्स डिपॉजिट की तरह साबित होने का ख्वाब दिखाया। बस यही योजना उक्त पौधों को सुरक्षित रखने में बहुत कारगर साबित हुआ। एक-एक पौधा लोगों को अलग अलग फिक्स डिपॉजिट के रूप में दिखाई देने लगा। उक्त डिपॉजिट को सुरक्षित रखने में भूस्वामी कोई कसर नहीं छोड़े। इससे दो लाभ हुआ, पहला भूस्वामियों के देख-रेख में सभी पौधे लहलहा रहे हैं। दूसरा पर्यावरण के लिए प्रयास सफल हो रहा है।


गुरु से मिली प्रेरणा

पूछे जाने पर इन्होंने कहा की यह प्रेरणा मेरे गुरु स्व० कृपानाथ से मुझे मिली। गुरूजी ओबरा इण्टर कालेज में हिंदी के अध्यापक थे। ओबरा में उनके द्वारा सैकड़ो पौधे वृक्ष बनकर तैयार है। जफराबाद प्राथमिक विद्यालय, आदि जगहों पर भी उनके हाथों सैकड़ो पेड़ लगाये गए हैं। गुरूजी कहा करते थे इन वृक्षों से हमको प्रेरणा मिलती है। ये अपने पूरे जीवनकाल में इस संसार के सभी जीवों को सिर्फ देते रहते है। एक जगह खड़ा रहकर जीवनभर कड़ी धूप, धूल ,बारिश आदि तकलीफो को सहकर हमे छाँव, शुद्ध हवा, फल,फूल, औषधि के साथ-साथ भूगर्भ के नीचे जलस्तर को ऊपर खींच कर रखते हैं। इतना ही नही ये अपनी आयु पूरी करने के बाद ईंधन के रूप में हम मानव को काम आते हैं। यह वृक्ष हम सभी मनुष्यों के लिए प्रकृत रूपी शरीर में हृदय के समान हैं। यदि हृदय प्रभावित हुआ तो शरीर का क्या अंजाम होता है, इसका अनुमान लगाना हम मानव के लिए कितना आसान है।

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