पंचमुखेश्वर महादेव की महिमा अपार

जौनपुर। सुल्तानपुर जिले की सीमा पर शाहगंज तहसील मुख्यालय से 28 किमी दूर सूरापुर में प्राचीन पंचमुखेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यूं तो यहां पूरे साल सोमवार व शनिवार को श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है लेकिन सावन माह की तो छटा ही निराली होती है। जलाभिषेक के लिए पूरे महीने शिव भक्तों तथा कांवरियों का रेला उमड़ता है, इससे उत्सव का माहौल रहता है। इतना ही नहीं पूजा -पाठ, हवन-यज्ञ तथा रुद्राभिषेक आदि का भी सिलसिला चलता रहता है। मंदिर का इतिहास अति प्राचीन है। सुल्तानपुर गजेटियर व अवध प्रांत के अन्य दस्तावेजों के आधार पर इसका निर्माण गुप्तकालीन माना जाता है। जिसका चार-पांच सौ वर्ष पहले एक बार जीर्णोद्धार कराया जा चुका है। मंदिर के बाहरी दीवारों पर बौद्ध कला तथा मेहराब व खंभों पर जैन वास्तु कला दर्शनीय है। मंदिर के शिखर पर साधना-गुहा बौद्ध विहारों की शैली से मिलती जुलती है। गर्भगृह तीन भागों में विभाजित है जिसमें चहुंमुखी शिव की प्रतिमा है। सावन माह के आगमन के साथ ही मंदिर की साफ-सफाई व रंग रोगन का कार्य शुरू हो जाता है। श्रद्धालुओं को कोई तकलीफ न हो इसके लिए स्थानीय लोगों के सहयोग से आने जाने व दर्शन पूजन की मुकम्मल व्यवस्था की जाती है। लोगों को यकीन है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद भगवान भोले जरूर पूरी करते हैं। भीड़ वाले दिन पुलिस की भी मौजदूगी रहती है। पुजारी बताते हैं कि मंदिर का रख-रखाव व खर्च दोनों ही भक्तों के भरोसे है।   लोग व दूर से आने वाले श्रद्धालु जो भी दान व चढ़ावा देते हैं उसी से सारी व्यवस्थाएं संचालित की जाती हैं। मंदिर तक पहुंच मार्ग को थोड़ा ठीक करने की जरूरत महसूस की जा रही है।

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