शिक्षको के सम्मान में ,रमेश सिंह मैदान में

जौनपुर। शिक्षको के मान,सम्मान,स्वाभिमान और अधिकार के लिए रमेश सिंह मैदान में आ गये है। वे अप्रैल माह में होने शिक्षक विधान परिषद सदस्य वाराणसी क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक दिया है। रमेश के मैदान में उतरने से जौनपुर जिले के अलावा इस निर्वाचन क्षेत्र के आठो जनपदो के शिक्षको में नया जोश और उत्साह दिखाई पड़ रहा है। उधर रमेश सिंह को मिल रहे भरपूर समर्थन से सेल्फ डिफेंस गेम खेलने वाले शिक्षक नेताओ में हड़कंप मच गया है। श्री सिंह ने दावा किया कि यदि शिक्षक बंधुओ का भरपूर आर्शीवाद मिला तो सबसे पहले पुरानी पेंशन बहाली के लिए पूरी ताकत झोक देगें। इसके लिए मै हर कुर्बानी देने के लिए तैयार रहूंगा।
अपने शिक्षा जगत के कैरियर के शैष्वाकाल से रमेश सिंह शिक्षको के मान, सम्मान और अधिकार की लड़ाई लड़ते चले आ रहे है। रमेश सिंह सन् 1987 में ग्रामोदय इण्टर कालेज गौराबादशाहपुर में शिक्षक के रूप कार्यभार ग्रहण किया। शिक्षण कार्य करने के साथ ही वे शासन प्रशासन द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न के लिए आवाज उठाना शुरू किया। उनके इस तेवर को देखते हुए माध्यमिक शिक्षक संघ की जिला इकाई ने उन्हे अपने कालेज का शाखा महामंत्री पद का जिम्मेदारी सौप दिया। नयी जिम्मेदारी मिलते ही रमेश सिंह का जोश दोगुना हो गया। आन्दोलनो में बढ़ चढ़कर भाग लेने के कारण उन्हे 1995 में जिले के संगठन में संयुक्त मंत्री पद सौपा गया। 1998 में उनका ओहदा बढ़ाते हुए जिला उपाध्यक्ष बना दिया गया। करीब पांच वर्ष तक वे उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सम्भाला। उनके कार्यो को देखते हुए प्रदेश संगठन ने उन्हे सन् 2003 में जिला अध्यक्ष बना दिया। सन् 2007 तक वे जिले की कमान सम्भालते हुए शिक्षको के हितो की लड़ाई लड़ते हुए सफलता हासिल किया। रमेश सिंह की निष्ठा को देखते हुए उन्हे सन् 2008 में प्रदेश मंत्री का दायित्व सौपा गया। उसके बाद सन् 2014 से अब तक वे प्रदेश उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सम्भाल रहे है। रमेश सिंह शिराज ए हिन्द डाॅट काम से विशेष बातचीत में बताया कि शिक्षक एमएलसी का चुनाव का समय तो मैने  अपने नेता व एमएलसी चेतनारायण सिंह के सामने चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा तो चेतनारायण सिंह ने मुझे मना करते हुए एकबार फिर खुद चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। रमेश सिंह ने कहा कि चेतनारायण सिंह सन् 2011 रिटायर्ड हो गये है उसके बाद भी शिक्षक एमएलसी की कुर्शी पर काबिज है। जबकि उन्होने पहला चुनाव लड़ने के समय यह एलान किया था कि वे सेवानिवृत्ति होने के बाद चुनाव नही लड़ेगे। आज वे कुर्शी के मोह में अंधे हो गये है। रमेश सिंह ने कहा कि ये लोग ऐसे नेता है जो अपने स्वार्थ के लिए समय समय पर होने आन्दोलनों का सरकार से समझौता कर लेते है जिससे शिक्षको को न्याय नही मिल पा रहा है। उन्होने साफ कहा कि ये नेता एक शिक्षक का दूसरा विधायक का खुद तो पेंशन ले रहे लेकिन 2005 से बंद हुए शिक्षको और कर्मचारियों के पेंशन बहाली के लिए कोई लड़ाई नही लड़ रहे है। तानाशाही रवैये के खिलाफ इस बार मैं खुद चुनाव मैदान में आ गया हूं।

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