जौनपुर की सड़को पर दिख रहा है सन् 1947 का नजारा
https://www.shirazehind.com/2020/03/1947.html
जौनपुर। जिले की सड़को पर इस समय सन् 1947 में हुए इण्डिया -पकिस्तान के बटवारे के बाद का नजारा दिख रहा है। हर सड़को पर मजदूर पूरे कुनबे के साथ पैदल ही अपने पुश्तैनी गांवो का रूख कर दिया है। इस भीड़ में शामिल कोई पश्चिम से पूरब में काम करने के लिए आया था कोई पूरब से पश्चिम के जनपदों में रोजीरोटी के लिए गये हुए थे। अब कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते देश में लाॅकडाउन होने के बाद काम धंधा बंद होने के बाद इनके सामने रोटी के लाले पड़ गया है। अब इनके सामने बस एक ही रास्ता है आ अब लौट चले गांव की ओर।
काम धंधे की तलास में कोई दिल्ली गया तथा तो कोई वाराणसी का रूख किया था। लेकिन चायनीज विमारी ने जहां कई देशो को अपने आगोश में लेकर मौत का सबब बन गया है वही भारत में जलजला ला दिया है। इस महामारी के चलते पूरे हिन्दुस्तान की विकास का पहिया रोक दिया है। प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस की कमर तोड़ने के लिए लाॅकडाउन कर दिया है। लाॅकडाउन के कारण कल,कारखाने,दुकान,शापिंग माॅल समेत पूरा व्यापार ठप हो गया है। ऐसे में इन संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों ,मजदूरो के सामने अंधेरा छा गया है। टेªन,बस सब बंद होने के कारण ये लोग अपने अपने कुनबे के साथ पैदल ही अपने पुश्तैनी गांव लौट रहे है। पश्चिम जिले में काम करने वाले पूरबियांे ने अपने घरो के लिए निकल गये है। पश्चिम से आकर पूरब में काम करने वाले लोग अपने घरो का रूख कर लिया है। इसी तरह उत्तर दक्षिण की दिशा में वाले अपने अपने ठीकाने की ओर चल पड़े है। ये लोग नन्हे मुन्ने बच्चो और महिलाओं के साथ पैदल ही अपना रास्ता तय कर रहे है। हलांकि रास्ते में पुलिस प्रशासन ने पैदल चल रहे परिवारों की भरपूर मदद भी कर रहे है। बसों, ट्रको व अन्य माल वाहक गाड़ियों पर बैठाकर भेज रहे है।
रविवार को एक दर्जन से अधिक मजदूर महिलाओ व नन्हे मुन्ने बच्चो को लेकर वाराणसी से अपने पैतृक गांव झांसी के लिए पैदल ही निकल गये। यह कुनबा जब रोडवेज पहुंचा तो यहां भी कोई बस नही मिला। इसी बीच कुछ पुलिस कर्मी सभी को रोककर खाना खिलाने के बाद जेसिज चैराहे पर एक ट्रक रोककर लखनऊ के लिए रवाना किया। इसी तरह कई राहगीर बिहार,झारखण्ड,समेत अन्य प्रदेशो के लिए पैदल आते जाते दिखाई पड़ रहे है।
काम धंधे की तलास में कोई दिल्ली गया तथा तो कोई वाराणसी का रूख किया था। लेकिन चायनीज विमारी ने जहां कई देशो को अपने आगोश में लेकर मौत का सबब बन गया है वही भारत में जलजला ला दिया है। इस महामारी के चलते पूरे हिन्दुस्तान की विकास का पहिया रोक दिया है। प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस की कमर तोड़ने के लिए लाॅकडाउन कर दिया है। लाॅकडाउन के कारण कल,कारखाने,दुकान,शापिंग माॅल समेत पूरा व्यापार ठप हो गया है। ऐसे में इन संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों ,मजदूरो के सामने अंधेरा छा गया है। टेªन,बस सब बंद होने के कारण ये लोग अपने अपने कुनबे के साथ पैदल ही अपने पुश्तैनी गांव लौट रहे है। पश्चिम जिले में काम करने वाले पूरबियांे ने अपने घरो के लिए निकल गये है। पश्चिम से आकर पूरब में काम करने वाले लोग अपने घरो का रूख कर लिया है। इसी तरह उत्तर दक्षिण की दिशा में वाले अपने अपने ठीकाने की ओर चल पड़े है। ये लोग नन्हे मुन्ने बच्चो और महिलाओं के साथ पैदल ही अपना रास्ता तय कर रहे है। हलांकि रास्ते में पुलिस प्रशासन ने पैदल चल रहे परिवारों की भरपूर मदद भी कर रहे है। बसों, ट्रको व अन्य माल वाहक गाड़ियों पर बैठाकर भेज रहे है।
रविवार को एक दर्जन से अधिक मजदूर महिलाओ व नन्हे मुन्ने बच्चो को लेकर वाराणसी से अपने पैतृक गांव झांसी के लिए पैदल ही निकल गये। यह कुनबा जब रोडवेज पहुंचा तो यहां भी कोई बस नही मिला। इसी बीच कुछ पुलिस कर्मी सभी को रोककर खाना खिलाने के बाद जेसिज चैराहे पर एक ट्रक रोककर लखनऊ के लिए रवाना किया। इसी तरह कई राहगीर बिहार,झारखण्ड,समेत अन्य प्रदेशो के लिए पैदल आते जाते दिखाई पड़ रहे है।

