कर रहे मरीजों का उपचार और गरीबों की मदद

 जौनपुर। गरीबों और असहायों की सेवा और उनकी सहायता से बड़ा कोई धर्म नहीं है। सम्प्रति वैश्विक महामारी में श्कोरोना वायरसश् से बचाव के लिए सरकार द्वारा 21 दिन का लाक डाउन किए जाने के उपरांत जहाँ सरकार द्वारा लोगों को कई तरह से राहत दिए जाने की घोषणा की गई है। तमाम सामाजिक संगठन एवं समाजसेवी लोगों की सहायता में लगे हुए हैं। लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पट्टीनरेन्द्रपुर में तैनात चिकित्साधिकारी डॉ0 रवीन्द्र कुमार चैरसिया की दरियादिली लोगों के लिए एक आइना है।सरकारी अस्पतालों में ओपीडी शुरू किए जाने के बाद सीमित संसाधन में अपने को सोशल डिस्टेंस मात्र से सुरक्षित रखकर उक्त चिकित्सक द्वारा पहले ही दिन 75 मरीजों का निःशुल्क उपचार किया गया। दोपहर में मरीजों का इलाज कर रहे डाक्टर की दृष्टि अचानक सड़क पर गई तो देखा कि 10-12 की संख्या में पैदल हीं लोग बाजार की तरफ जा रहे हैं, राहगीरों के भावों को दूर से ही देखकर मन में दया का सागर उमड़ पड़ा लेकिन अपने मूल कर्तव्य पथ पर चलते हुए रोगियों के उपचार में लगे रहे। कुछ हीं देर बाद अस्पताल का हाल जानने पहुंचे स्थानीय पत्रकार डॉ.प्रदीप दूबे से डा.कुशवाहा ने राहगीरों के विषय में जानकारी लेने की जिज्ञासा प्रकट की।

गौरतलब है कि लाक डाउन के दौरान इस समय भी ईंट भट्ठे पर काम कर रहे मजदूरों का पलायन जारी है । उसी क्रम में कुल 12 की संख्या में ईट-भट्ठे पर काम करने वाले मजदूर प्रतापगढ़ जनपद से पैदल अपने घरों को जा रहे थे, जिसमें 11 मजदूर गाजीपुर  तथा 01 जौनपुर जिले  के जमुनियां गाँव का रहने वाला है। राहगीरों के पास न तो पैसा है और न ही उनके पास कुछ खाने- पीने का सामान है। सभी भूखे- प्यासे अपने गाँव जा रहे हैं ।
 पत्रकार द्वारा डॉक्टर को यह बताया गया कि बाजार बन्द होने के कारण किसी तरह सभी मजदूरों को बिस्कुट देकर पानी पिलाने मात्र की व्यवस्था ही उनके द्वारा की जा सकी। यह सुनते हीं डा.कुशवाहा के नेत्र सजल हो उठे,चेहरे पर करुणा के भाव परिलक्षित होने लगे और उन्होंने राहगीरों को भोजन करने के लिए 500 रूपये उन लोगों तक पहुँचाने का निवेदन किया। पत्रकार ने रूपया लेकर लगभग 2 किमी जाकर मजदूरों से डॉक्टर के स्नेह को बताते हुए सभी के भोजन के लिए 500 रूपये दिया। वापस लौटकर पत्रकार द्वारा जब डाॅ. कुशवाहा को यह बताया गया तो उनके चेहरे पर स्पष्ट रूप से  हर्ष और करुणा का जो समन्वित भाव दिखाई दिया उसमें एक चिकित्सक के रूप में भगवान का दूसरा रूप दिखाई दे रहा था। 

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