ऑरेंज जोन व कोरोना पीड़ित होने के बावजूद कोर्ट खोलने पर विरोध


जौनपुर। हाईकोर्ट के आदेश पर जिलाधिकारी के इस रिपोर्ट पर कि दीवानी न्यायालय कंटेनमेंट जोन में नहीं आता,जिला जज ने शुक्रवार को न्यायालय खोलने का आदेश दिया।लॉक डाउन के दौरान पांच अधिवक्ता व पूर्व न्यायमूर्ति समेत नौ लोगों के निधन के कारण कंडोलेंस हो गया और अधिवक्ता पूरे दिन न्यायिक कार्य से विरत रहे इस कारण सुनवाई न हो सकी।
अभी कुछ न्यायालय चलेंगे जिसमें केवल जमानत पर वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई होगी।वीडियो कांफ्रेंसिंग में न्यायिक अधिकारी अपने चेंबर में रहेंगे तथा अधिवक्ता कोर्ट कक्ष में खड़े होकर बहस करेंगे।शुक्रवार को काफी संख्या में अधिवक्ता दीवानी न्यायालय आए थे। वादकारी भी आए थे लेकिन वादकारियों को गेट पर ही पुलिसकर्मियों द्वारा रोक दिया गया।अधिवक्ताओं ने कोर्ट खोलने पर विरोध जताया। कहा कि अभी जनपद में 3 कोरोना पीड़ित हैं और जनपद ऑरेंज जोन में है। लॉक डाउन के कारण वाहन भी नहीं चल रहे हैं।सुदूरवर्ती क्षेत्रों से अधिवक्ता,वादकारी एवं जमानतदार दीवानी परिसर में कैसे आ सकेंगे।इस पर किसी ने विचार नहीं किया।तमाम जमाती भी अभी छुपे हुए हैं और वे जमानतदार बनकर दीवानी परिसर में प्रवेश कर सकते हैं और सामुदायिक संक्रमण फैला सकते हैं।सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना संभव ही नहीं है।मई माह में जब संक्रमण इतनी तेजी से फैल रहा है।उस समय न्यायालय को खोलना उचित नहीं है।संक्रमण से न केवल अधिवक्ता बल्कि कर्मचारी व न्यायिक अधिकारी भी प्रभावित हो सकते हैं।हाल ही में एक जमाती के कोर्ट में आने पर केवल कागज के माध्यम से हुए संपर्क के कारण न्यायाधीश व कर्मचारी समेत पांच लोग क्वॉरेंटाइन में चले गए थे।स्थिति भयावह भी हो सकती थी।ऐसी स्थिति में जोखिम उठाना कतई उचित नहीं है।इसके अलावा जब प्रधानमंत्री ने 17 मई तक लॉक डाउन  घोषित किया है और लोगों को अति आवश्यक होने पर ही घर से निकलने को कहा जा रहा है ऐसी स्थिति में कोर्ट का खोलना कहां तक उचित है। वकीलों का यह भी कहना है कि न्यायाधीश तो अपने चेंबर में रहेंगे। संक्रमण के डर से कोर्ट तक में भी नहीं आ रहे हैं।अधिवक्ता कोर्ट परिसर व न्यायालय कक्ष में वादकारियों या जमानतदारों के साथ रहेंगे जिससे संक्रमण की संभावना हो सकती है।पत्रावलियों के माध्यम से भी संक्रमण फैल सकता है तथा रुपयों के लेनदेन में भी संक्रमण की संभावना है।वकीलों ने मांग किया कि जब तक जनपद  ग्रीन जोन में न आ जाए तब तक कोर्ट खोलना खतरे से खाली नहीं है। कोर्ट चलने पर अगर सामुदायिक संक्रमण फैलता है तो इसकी जिम्मेदार न्यायपालिका व जिला प्रशासन होगा।

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