जमातियों की जमानत निरस्त

रिपोर्ट - हिमांशु श्रीवास्तव 
जौनपुर।दिल्ली व अन्य जिलों की जमात में शामिल होने के कोतवाली थाना क्षेत्र व शाहगंज थाना क्षेत्र के 33 आरोपियों की जमानत अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने खारिज कर दिया।आरोपियों ने जिला जज की अदालत में स्वयं को बेगुनाह और फर्जी ढंग से फंसाया जाना बताते हुए जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया है।कोर्ट ने सुनवाई के लिए 26 मई तिथि मुकर्रर किया है। कोतवाली थाना क्षेत्र में 31 मार्च 2020 को मोहम्मद शाहिद समेत 34 आरोपियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई गई थी जो मेरठ की जमात में शामिल हुए थे।इसके अलावा सराय ख्वाजा थाना क्षेत्र के 14 बांग्लादेशियों समेत अट्ठारह के खिलाफ,सरायख्वाजा के ही सोनुद्दीन समेत आठ के खिलाफ तथा शाहगंज के विभिन्न अपराध संख्या में 26 आरोपियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज हुई थी।इसके अलावा बरसठी में,बदलापुर में आरोपियों के खिलाफ भी एफ आई आर दर्ज हुई थी। शाहगंज के प्रभारी निरीक्षक जयप्रकाश सिंह ने 2 अप्रैल 2020 को मोहम्मद जमील समेत 9 आरोपियों पर धारा 188 व 269 आईपीसी में एफ आई आर दर्ज कराया था कि इज्तिमा के संरक्षक मोहम्मद जमील के कहने पर आठ आरोपी दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज की जमात में शामिल होने गए थे और वहां से आकर अपने घरों में छुप कर रह रहे थे।परिवार व बाहरी लोगों से मिलने जुलने के कारण यह अन्य लोगों का जीवन संकट में डालने का प्रयास किए।इनके कृत्य से कोरोना महामारी फैलने की पूरी संभावना पैदा हुई।शाहगंज के अब्दुल रहमान,मोहम्मद नासिर समेत तीन की, इसके अलावा दो और शाहगंज के मामलों में 13 आरोपियों तथा कोतवाली थाना क्षेत्र के 14 आरोपियों की जमानत मजिस्ट्रेट द्वारा निरस्त कर दी गई।सभी आरोपियों के खिलाफ विवेचना में धारा 307 आईपीसी,धारा तीन महामारी अधिनियम व धारा 51 का आपदा प्रबंधन अधिनियम की बढ़ोतरी की गई थी।जमात में शामिल सभी आरोपियों को प्रसाद इंस्टिट्यूट में अस्थाई जेल में रखा गया है।एक जमाती की हार्टअटैक से मृत्यु हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 7 वर्ष तक की सजा से दंडनीय आरोपियों को पैरोल पर छोड़ दिया जाए।जब दिल्ली के जमातियों के सरदार मोहम्मद साद पर गैर इरादतन हत्या की धारा की बढ़ोतरी हुई तो यहां तथा अन्य प्रांतों में भी जमातियों के खिलाफ हत्या के प्रयास की धारा की बढ़ोतरी की गई। शासन की स्पष्ट मंशा है कि जमातियों को जेल से बाहर नहीं आने देना है अन्यथा दूसरों को यह कोरोनावायरस अमित कर उनका जीवन संकट में डाल देंगे।पुलिस के अनुसार इनके खिलाफ धारा की बढ़ोतरी इसलिए की गई कि जमात में शामिल होने के बाद छिपे हुए थे और पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए इनका आशय को रोना का संक्रमण अन्य लोगों में फैलाने का था जबकि सभी जानते थे कि इस संक्रमण से पीड़ित की मृत्यु हो सकती है इसके बाद भी आरोपी छिपे रहे। जिला जज की अदालत में 26 को प्रपत्र आने के बाद इनकी जमानत के संबंध में फैसला होगा।

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