कोरोना चैलेंज बनाम मोदी संकल्प
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जौनपुर। कोरोना वायरस एक महामारी वायरस है जो अन्य शक्तिशाली देशो के देशवासियों को संक्रमित करते हुए बहुतायत असंख्य लोगों को संक्रमित करते हुए उन्हें मौत की गोद में सुला दिया और लगातार प्रभावी रहा।भारत ने भी जैसे ही इस कोरोना वायरस ने अपनी दस्तक दी।अपने देश से प्रधानमंत्री मोदी ने त्वरित प्रभाव से इस तथ्य को अपने अलौकिक प्रतिभा व दिव्य दृष्टि से भांप लिया और अपने देशवासियों को अपने संबोधन में सचेत किया कि कोरोना वायरस एक जानलेवा वायरस है और इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के 6 फुट की परिधि में जो व्यक्ति आ जाएगा उस व्यक्ति को भी अपनी चपेट में ले कर संक्रमित कर देगा और इसी तरह से वायरस अपना चक्रमण पूरा करता रहेगा।इसका अनुभव करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोनावायरस शब्दों को परिभाषित भी किया कि -'को'- कोई भी,'रो'- रोड पर, 'ना'-ना निकले।इसी के निमित्त मोदी जी अपने देशवासियों को सचेत किया कि वे जहां है वहीं रहें।अपने घर की लक्ष्मण रेखा को पार न करें और समूचे भारत में लाकडाउन का एलान किया जिसे संपूर्ण देशवासियों ने सहर्ष स्वीकार किया और दिशानिर्देश व कठिनाइयों को सहते हुए पूरी निष्ठा व लगन से पालन किया किंतु कुछ लोग हीन भावना से ग्रसित होकर अपने नापाक इरादे को पूरा करने के लिए लुक छिप कर भारी तादाद में लोगों को संक्रमित करने से बाज नहीं आए और अपने संक्रमित होते हुए भी अपनी जान की परवाह किए बिना देश वासियों को संक्रमित करते रहे और एक भयावह स्थिति संक्रमण की पैदा कर दिया। जिसकी बखूबी जानकारी उनके कृत्यों की अपने देशवासियों को है।इतने के बावजूद यदि कोरोना शब्द को दाहिने से बाएं की ओर पढ़ा जाए तो शब्द नारोको होता है जिससे प्रकट होता है कि यह एक तरह से कोरोना का चैलेंज है।प्रधानमंत्री मोदी जी ने कोरोना के इस चैलेंज को न केवल गंभीरता से लिया अपितु संकल्पबद्ध हो करके कोरोनावायरस के प्रभाव से भारत को मुक्त करने का निर्णय लिया और उनके द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन हर वर्ग के लोग कर रहे हैं और देश के चिकित्सक अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी जान जोखिम में डालकर बिना किसी भेदभाव के सेवा व चिकित्सा 'देश धर्म मानव धर्म मानवता' के नाम पर निरंतर कर रहे हैं जिसमें चिकित्सक संक्रमित हुए और उन्हें व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को अपने प्राणों की आहुति भी देनी पड़ी।इस संदर्भ में प्रत्येक नागरिकों का सहयोग अतुलनीय है।इसी वजह से अन्य देशों की अपेक्षा भारत में संक्रमितों व उनकी मृत्यु दर भी बहुत कम हो चुकी है जिसका मूल कारण प्रधानमंत्री मोदी जी का अथक प्रयास,सही दिशा निर्देशों व देश के सभी वर्ग व तबकों के सहयोग का परिणाम है।सभी शक्तिशाली देशों ने प्रधानमंत्री मोदी जी को उनके द्वारा कोरोनावायरस पर द्रुतगामी प्रभाव से अंकुश लगाने व उस पर काबू पाने की अपनी सूझबूझ से जो कदम उठाया उसकी तारीफ ही नहीं किया बल्कि प्रधानमंत्री मोदी जी को 'संकट मोचन' भी कहा।
अब भारत कोरोनावायरस से जीत से महज 2 गज दूर है और कोरोनावायरस की हार व उस पर भारत की जीत सुनिश्चित है और 'संकल्प मोदी' पूर्ण होगा।प्रधानमंत्री जी द्वारा लॉकडाउन 4 का ऐलान बहुत ही एहतियात लेते हुए किया गया है जो परम आवश्यक था क्योंकि थोड़ी सी भी चूक भयावह हो सकती है।मोदी जी ने 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया जो देशवासियों के प्रत्येक तबके के उत्थान के लिए है किंतु दुख का विषय है कि चंद लोग जिनकी मानसिकता केवल आलोचना करना मात्र ही है,आलोचना करना ठीक है,अपना अपना मत व्यक्त करना ठीक है जो प्रत्येक नागरिकों का मौलिक अधिकार है,किंतु आलोचना में गंभीरता के साथ-साथ तार्किकता भी होनी चाहिए। यह भी सोचना व देखना चाहिए कि क्या यह आलोचना देश धर्म में सहायक है।व्यक्ति द्वारा अपने धर्म,देश धर्म के रूप में देखकर ही आलोचना किया जाना सार्थक होता है।
माननीय प्रधानमंत्री जी ने भारतीय लोकतंत्र को आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया है जिसके लिए हर वर्ग के लोग 21 वीं सदी के भारत को जो आत्मनिर्भर भारत के रूप में उभर कर आएगा, उसके उदय को नई चेतना, चाहे जिस तबके के लोग हैं वह एक नई रोशनी व जीने का सशक्त मार्ग प्रदान करने वाला होगा। संकल्प
लेखक
आमोद कुमार सिन्हा एडवोकेट
पूर्व अध्यक्ष दीवानी न्यायालय अधिवक्ता संघ जौनपुर
लेखक
आमोद कुमार सिन्हा एडवोकेट
पूर्व अध्यक्ष दीवानी न्यायालय अधिवक्ता संघ जौनपुर