सरकार ने अपना तुलगी फरमान वापस नही लिया तो हम लोग आन्दोलन को बाध्य होगें: डा0 जेपी सिंह

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वाचंल विश्वविद्यालय का पैसा आजमगढ़ राज्य विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए ट्रांसफर करने का आदेश शासन से आने के बाद जिले के शिक्षा जगत में हड़कंप मच गया है। शासन के इस फरमान का विरोध शुरू हो गया है। टीडीपीजी कालेज के शिक्षक व बसपा नेता डा0 जेपी सिंह खुलकर खिलाफत करते हुए कहा कि शासन का यह आदेश पूर्वाचंल विश्वविद्यालय को खोखला करने वाला है। एक तरह पहले से ही मुफिलीसी चल रहा हमारा विश्वविद्यालय ऊपर से यूपी सरकार की इस मंशा ने पूरी तरह से कंगाल करने वाला है। यदि जल्द ही सरकार ने अपना तुलगी फरमान वापस नही लिया तो हम लोग सड़को पर उतरने को बाध्य हो जायेगे। उधर आने चुनावो में जिले की जनता सरकार को उखाड़ फेकने का काम करेगी। 
मालूम हो कि वर्ष 2009 में  वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से  बलिया, वाराणसी, चंदौली ,सोनभद्र, मिर्जापुर व भदोही के कालेजों को  हटाकर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी से संबद्ध कर दिया गया  जिससे विश्वविद्यालय को आर्थिक क्षति उठाना पड़ा। पूर्वांचल के इन पिछड़े जनपदों के गरीब छात्र-छात्राओं के से मनमाना शिक्षण शुल्क, परीक्षा शुल्क व अन्य शुल्क महाविद्यालयों द्वारा वसूला जाता है और जब विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति किसी तरह सुदृढ़ हुई जिसके कारण विश्वविद्यालय के कैंपस में तमाम पीजी कोर्सेज जैसे एमबीए, एमसीए, बीटेक, एमएफसी, बायो टेक्नोलॉजी तथा रज्जू भइया विज्ञान संस्थान आदि चलने लगे जिसमें योग्य शिक्षकों की भी भर्ती हुई और पूर्वांचल विश्वविद्यालय कैंपस में भी पठन-पाठन का अच्छा माहौल पैदा हुआ। आज यदि पीयू ,जौनपुर द्वारा धन का ट्रांसफर अन्य विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए दिया गया तो इसकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाएगी जिस का संपूर्ण भार विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों तथा कैंपस में चलने वाले तमाम पीजी कोर्सेज के गरीब छात्र-छात्राओं तथा उनके अभिभावकों पर पड़ना लाजिमी है। जो पहले से ही अधिक परीक्षा शुल्क, शिक्षण शुल्क तथा  व अन्य शुल्क से  परेशान हैं ।ऐसे में शासन के तुगलकी फरमान एकदम बेईमानी है। 
बताते चलें बताते चलें कि  एमके सिंह  वित्त अधिकारी, पूर्वांचल विश्वविद्यालय,जौनपुर ने बताया कि यहां करीब 200 शिक्षक और 450 कर्मचारी भी तैनात हैं। विश्वविद्यालय को प्रतिवर्ष परीक्षा और फीस से करीब 110 करोड़ की इनकम होती है लेकिन खर्च भी करीब इतना ही हो जाता है। वहीं 350 करोड़ की एफडी का ब्याज पेंशन और विश्वविद्यालय परिसर में तमाम निर्माण कार्य पर खर्च होता है। इसलिए विश्वविद्यालय के पास कोई बचत में धन नहीं है, जिससे आजमगढ़ विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए धन देने में हम असमर्थ हैं। आजमगढ़ राज्य विश्वविद्यालय बन जाने पर पुनः संबद्ध महाविद्यालयों की संख्या में कमी होगी जिसके कारण इनकम बहुत ही कम हो जाएगा  इसका असर विश्वविद्यालय कैंपस में चल रहे तमाम कोर्सेज के संचालन में कठिनाई आ सकती है। अतः किसी भी स्थिति में इस मांग पत्र का हम सभी विरोध करते हैं। इस आशय को शासन को संज्ञान में लेना चाहिए। 

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