तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के उपचार की प्रभावशाली योजना की जरूरत !

 वैश्विक स्तर पर कोरोना संक्रमण की संख्या 1 करोड़ 57 लाख से अधिक हो गयी है | इस वायरस से मरने वालों की संख्या 6.38 लाख से अधिक हो गयी है जबकि 89 लाख से अधिक लोग इस वायरस से ठीक हुये है | भारत की स्थिति वैश्विक स्तर में तीसरे स्थान पर है | 12.88 लाख से अधिक व्यक्तियों को कोरोना संक्रमण हो गया है जबकि मरने वालो की संख्या 30,600 से अधिक है | भारत में कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र है जहाँ संक्रमितों का आंकड़ा 3.48 लाख के पार है इसमें से 1.45 लाख मामले अकेले ही मुंबई महानगर क्षेत्र में है | कोरोना संक्रमण में यूनाइटेड स्टेट्स अमेरिका और ब्राज़ील के बाद भारत का क्रम है | जिस गति से देश में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है वह अत्यंत चिंता का विषय है | इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के इस बयान ने की "भारत के ग्रामीण इलाको में कोरोना संक्रमण के कम्युनिटी ट्रांसमिशन होने के संकेत है" से सभी को और अधिक सतर्क रहने की जरूरत पर विशेष बल दिया है | भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु (IISc) द्वारा कोरोना संक्रमण के अध्ययन में यह दावा किया गया है की अनियंत्रण की परिस्थिति में मार्च 2021 तक भारत में 6.2 करोड़ लोगो को कोरोना संक्रमण हो जायेगा और 82 लाख केस सक्रीय होगे, जबकि मरने वालो की संख्या 28 लाख तक हो सकती है | ये कुछ आकड़े है, जो इस बात पर सोचने के लिए विशेष बल दे रहे है कि इसे नियंत्रित कैसे किया जाये ? जिससे महत्वपूर्ण मानव जीवन को बचाया जा सके |

सरकार के सभी प्रयासों के बावजूद कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है ऐसे में अधिक लोगो को इलाज की जरूरत होगी, जबकि देश में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, आबादी के अनुपात में काफी कम है और अव्यवस्थित भी है | शोधकर्ताओं की एक टीम जो की संबद्ध है सेन्टर फॉर डिजीज डायनमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पालिसी, न्यू दिल्ली/वाशिंगटन डीसी यू.एस.ए., एमिटी यूनिवर्सिटी इंडिया, इम्पीरियल कॉलेज लन्दन यू.के. और प्रिन्सटन एनवायर्नमेंटल इंस्टिट्यूट, प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी यू.एस.ए., की एक स्टडी के अनुसार भारत में लगभग 25,778 सरकारी अस्पताल, 43,487 निजी अस्पताल, कुल 69,265 अस्पताल है | सरकारी अस्पताल में बेड की उपलब्धता 7,13,986 निजी अस्पताल में 11,85,242 कुल 18,99,228 है | आई.सी.यु बेड की संख्या सरकारी अस्पताल में 35,699 निजी अस्पताल में 59,262 कुल 94,961 है | वेंटीलेटर्स की संख्या सरकारी अस्पताल में मात्र 17,850 निजी अस्पताल में 29,631 कुल 47,481 है | यह जरुरतों और अंतर्राष्ट्रीय मनको से काफी कम है | देश की आबादी 138 करोड़ है | सर्वाधिक अस्पताल (17,103), बेड (2,81,402), आई.सी.यु बेड (14,070), वेंटीलेटर्स (7,035) उत्तर प्रदेश राज्य में है | उत्तर प्रदेश में COVID-19 का संक्रमण अब तक 47,149 है | फिर भी कई समस्याएं सामने आ रही है | यानि की देश में 1 लाख लोगो पर मात्र 137.62 अस्पताल बेड, आई.सी.यु बेड 6.88, वेंटीलेटर्स 3.44 की उपलब्धता है | हालाँकि राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने कई तरह की व्यवस्थाओं का इन्तेजाम किया है, जिसमे रेलवे के डिब्बो में भी आइसोलेशन/इलाज की सुविधा दी जा रही है | पर बढ़ती संक्रमण संख्या के अनुपात में ये व्यवस्थाये अपर्याप्त जल्द हो सकती है |

इस कोरोना वायरस की लड़ाई में प्राथमिक योद्धा डॉक्टर्स और नर्सेज है | विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी को भी हमें याद रखने की जरूरत है जिसमे कहा गया है की स्थिति अभी और गंभीर हो सकती है | स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के एक आकड़ो के अनुसार 31 मार्च 2019 तक देश में मात्र 11.59 लाख पंजीकृत डॉक्टर्स है | इनमे से सक्रीय कितने है यह एक बड़ा प्रश्न है | यानि की बढ़ते कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए हमें और अधिक डॉक्टर्स और नर्सेज की आवश्यकता होगी | यदि विस्तृत विवरण देखा जाये तो अधिकांश डॉक्टर आपको शहरों में/निजी अस्पतालों में मिलेगे, जबकि 70 प्रतिशत आबादी गावों में रह रही है | ऐसे में भविष्य की कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज सम्बंधित समस्या को दूर करने के लिए सरकार को इन उपायों के बारे में सोचना चाहिये जिससे संक्रमित लोगो का समुचित इलाज हो सके - 1. DNB, MD, MS की तीन वर्षो की ट्रेनिंग/पढ़ाई पूरी करके लगभग 25,000 युवा डॉक्टर्स परीक्षा का इन्तेजार कर रहे है, ऐसे डॉक्टर्स को अंतिम वर्षो की परीक्षा से छूट देकर देश के विभिन्न जिला अस्पताल में अगले 2 वर्षो के लिए कार्य कराया जा सकता है | यही विधि MBBS पढ़ रहे अंतिम वर्ष के छात्रो पर भी लागू की जा सकती है | 2. दो लाख से अधिक नर्सेज जिन्होंने अपनी पढ़ाई/प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, पर परीक्षा न होने से कार्य नहीं कर पा रही है | इन्हें परीक्षा से मुक्त कर इनकी सेवाए COVID अस्पताल या जिला अस्पताल में ली जा सकती है | 3. विभिन्न विभागों में कार्यरत डॉक्टर्स जो पिछले 2 से 3 वर्षो से वरिष्ठ डॉक्टर्स के साथ कार्यरत है, उन्हें अनुभव के आधार पर, इस महामारी में, उस विषय की बीमारी के लिए, कार्य करने की अनुमति देकर आवश्यक COVID अस्पताल या जिला अस्पताल पर इलाज के लिए भेजना चाहिये 3. विभिन्न निजी क्षेत्र के डॉक्टर्स का नियन्त्रण सरकार अपने हाथ में ले और आवश्यक जगह, जहाँ महामारी के इलाज के लिए अधिक आवश्यकता है उन्हें वहां इलाज करने के लिए भेजा जाना चाहिये | 4. विदेशो से अध्ययन किये डॉक्टर्स जिनकी संख्या लगभग 90,000 से अधिक है, भारत में परीक्षा न पास करने की वजह से कार्य नहीं कर पा रहे है | इनमे से प्रतिभाशाली डॉक्टरो को कार्य करने की अनुमति देकर आवश्यक जगह पर इनसे कार्य लिया जा सकता है | 5. विभिन्न बड़े सभागार, हाल धार्मिक क्षेत्र के बैठक गृहों को सरकार अपने नियंत्रण में लेकर कोरोना इलाज सेंटर, स्थानीय स्तर पर बनाकर लोगो का इलाज भविष्य के लिए सुनिश्चित करें |

कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनियां परेशान और भयभीत है | संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में सरकार को भविष्य की स्थिति का आकलन करके डॉक्टर और नर्सेज की उपलब्धता, प्रत्येक स्वस्थ केंद्र तक सुनिश्चित करनी चाहिये | जीवन अमूल्य है, बिना इलाज के मृत्यु की स्थिति से कही बेहतर स्थिति होगी प्रशिक्षित लोगो से इलाज कराने की | मार्च 2020 की देश की स्थिति और अब की स्थिति में जमीन आसमान का अंतर है | सरकार की चिंता लोगो के जीवन के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को चलाने की भी है | भविष्य की कोरोना की वास्तविक स्थिति का अंदाजा नही लगाया जा सकता है, पर तैयारी करनी बेहद जरुरी है | इस विकल्प की आवश्यकता तब भी हो सकती है, जब अधिक से अधिक लोगो में कोरोना संक्रमण होने से, सामूहिक प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हो जाने पर रोग से लड़ने की क्षमता अपने आप सभी में हो जाये जिससे कोरोना की मारक क्षमता अपने आप कम हो जाये | जिससे कुछ समय पश्चात् कोरोना अपने आप समाप्त हो जायेगा | क्योंकि उस परिस्थिति में भी प्राथमिक उपचार की जरूरत पड़ेगी | यदि किसी दवा, टिके की खोज हो भी जाती है तो भी डॉक्टर्स और नर्सेज की जरूरत पड़ेगी | दुनियां के कई देश इस तरह के उपायों को अपना रहे है |

डॉ अजय कुमार मिश्रा
drajaykrmishra@gmail.com

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