तुग़लक़ी फरमानों से परेशान है शिक्षक : रमेश सिंह
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जौनपुर।शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं वाराणसी खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी रमेश सिंह ने प्रदेश सरकार एवं विभाग पर केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने और माध्यमिक शिक्षकों को अपने तुग़लक़ी फरमानों से परेशान करते हुए उनके मानसिक शोषण का आरोप लगाते हुए इससे बाज आने की चेतावनी दी है।
उन्होंने अवगत कराया है कि वर्तमान समय में प्रदेश सरकार माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन करा रही है। इस सम्बन्ध में शिक्षकों को अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य के माध्यम से अपने-अपने अभिलेखों की स्वप्रमाणित छायाप्रतियां जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालयों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था लेकिन अब शिक्षकों को अपने मूल अभिलेख/प्रमाण पत्र ही जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है जो निन्दनीय है।
इस सम्बन्ध में केन्द्र सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि स्वप्रमाणित छाया प्रतियां जिन पर सम्बन्धित के हस्ताक्षर होते हैं, उसे स्वीकार किया जाय और उस पर अंकित तथ्यों का मिलान कराया जाय। यदि कोई विसंगति मिलती है तो सम्बन्धित हस्ताक्षरकर्ता को उत्तरदायी माना जाय। ऐसी स्थिति में जब सभी शिक्षकों द्वारा अपने शैक्षिक अभिलेखों की स्वप्रमाणित छाया प्रतियां दी जा रहीं हैं तब मूल प्रमाण पत्र मांगे जाने का औचित्य समझ में नहीं आता। यह एक सोची समझी साजिश के तहत माध्यमिक शिक्षकों का सरकारी शोषण है जिसे संगठन कत्तई बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रदेश सरकार और विभाग, स्वप्रमाणित छाया प्रतियां स्वीकार करते हुए सारी जाँच पूरी करा सकती है लेकिन यदि शिक्षकों को मूल प्रमाणपत्र जमा करने के लिये कहा जाता है और अध्यापकों के मूल प्रमाणपत्र कहीं खो जाते हैं/गुम हो जाते हैं तब इसके लिए कौन उत्तरदायी होगा? विभाग और सरकार एक सोची समझी साजिश के तहत माध्यमिक शिक्षकों के प्रमाण पत्र पहले जमा करा लेंगे, बाद में फिर अध्यापकों को फर्जी बताना शुरू करेंगे। जब कोई विरोध करेगा तो कहेंगे कि आप के पास शैक्षिक अहर्ता ही नहीं है, यदि है तो प्रमाण पत्र दिखाइए। फिर यहीं से असली खेल शुरू होगा इसलिए शिक्षक साथी कदापि अपने मूल अभिलेख जमा न करावे। साथ ही विभाग और प्रदेश सरकार भी मूल प्रमाण पत्र मांगने से तत्काल बाज आए अन्यथा संगठन आन्दोलन के लिए विवश होगा जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व विभाग एवं सरकार पर होगा।