कोरोना से मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए स्वास्थ्य कर्मियों ने लिया 10 हजार रूपये
जौनपुर : जहां केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में कोरोना संक्रमण को लेकर करोड़ों रुपए जिला प्रशासन को दिए जा रहे हैं।वही जनपद के स्वास्थ्य विभाग के लोग आपदा में अवसर ढूंढने और अवसर का फायदा उठाने से से बाज नहीं आ रहे हैं। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग कोरोना संक्रमितों के इलाज इत्यादि के लिए दावे चाहे जो भी कर रहा हो लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट है।
मामला कोतवाली थाना क्षेत्र के निवासी कोरोना संक्रमित गिरीश श्रीवास्तव की L2 हॉस्पिटल में मृत्यु से संबंधित है।मृतक की पत्नी की बहन बीना श्रीवास्तव जो दीवानी न्यायालय में अधिवक्ता है, उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके बहनोई गिरीश की L2 हॉस्पिटल में मृत्यु का कारण स्वास्थ्य विभाग की घोर उपेक्षा व लापरवाही है।उनके इलाज में लापरवाही बरती गई।सूचना मिली है कि डॉक्टर अंदर भी नहीं जाते केवल कर्मचारी देखरेख करते हैं।वह भी कोरोना पीड़ितों से दूरी बनाकर रहते हैं।स्वास्थ विभाग की लापरवाही से गिरीश की मृत्यु हो गई।मृत्यु के बाद स्वास्थ्य विभाग के लोग एंबुलेंस से उन्हें अंतिम संस्कार के लिए रामघाट लेकर पहुंचे वहां पहुंचकर परिवार वालों को फोन करके बुलाया तथा अंतिम संस्कार के लिए ₹10,000 की मांग की।परिवार वालों के यह कहने पर कि सरकार कोरोनावायरस से पीड़ित व्यक्तियों की मृत्यु पर अंतिम संस्कार स्वयं अपने खर्च पर कराती है।स्वास्थ्य कर्मी उलझ गए और काफी देर तक नोकझोंक हुई। परिजनों ने 10000 की व्यवस्था कर स्वास्थ्य कर्मियों को दिया तब जाकर मृतक का अंतिम संस्कार हुआ।शव को परिजनों को दूर से दिखाया गया।गिरीश की पत्नी भी कोरोना संक्रमित पाई गई। उन्हें होम क्वॉरेंटाइन रहने को कहा गया लेकिन जब उनकी हालत बिगड़ी तो डिप्टी सीएमओ से बात की गई। एंबुलेंस भेजने को कहा गया तो उन्होंने कहा कि पेशेंट को लेकर आएं।उच्चाधिकारियों से वार्ता के बाद किसी प्रकार उन्हें जिला चिकित्सालय ले जाया गया।उनका इलाज ट्रामा सेंटर हौज में चल रहा है।

