अब कौन कहेगा पापा बाजार से टाफी लेकर आना
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जौनपुर। बिजली के तार में शार्ट सर्किट से निकलने वाली चिगारी शोला बनकर न सिर्फ मनोज की पत्नी सविता बल्कि उसके कलेजे के टुकड़ों की मौत कारण बन जाएगी। हृदय को बेधने जैसी इस घटना से पूरे गांव का माहौल बड़ा उदासीपूर्ण हो गया है। मनोज के घर से उठने वाला करुण-क्रंदन हर किसी की आंखों को नम कर दे रहा है।रोते हुए मनोज के मुंह से बार-बार यही बात निकल रही थी अब कौन कहेगा, पापा बाजार से लौटते समय टाफी लेकर आना। मनोज जब भी घर से बाजार जाने बात कहकर निकलता था तो चार साल का बेटा देवांश हमेशा कहता था, पापा मेरे लिए टाफी लेते आइएगा। छोटे से परिवार को हंसता-खेलता देखकर मनोज जिदगी की बाकी दुश्वारियां भूल जाता था।
गांव में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान चलाने वाले अनुसूचित जाति बस्ती के निवासी मनोज कुमार की पत्नी सविता (33) पति के गांव में निकलने के बाद घर का कामकाज निबटाकर अपने बेटों नौ माह के दिग्विजय व चार वर्ष के देवांश को लेकर कमरे में सोने चली गई। उसकी सास लालती देवी भी पड़ोस में ही किसी के यहां चली गईं। दोपहर करीब एक बजे शार्ट सर्किट से लगी आग ने पलक झपकते ही भयावह रूप ले लिया और तीनों की झुलसने से मौत हो गई। खबर लगते ही घर पहुंचा मनोज पत्नी व बेटों तो लालती देवी भी बहू तो कभी पोतों के शव से लिपटकर रोते-रोते बेसुध हो जा रही थी। अन्य स्वजनों के भी करुण-क्रंदन से पूरे गांव शोक में डूब गया। ढांढ़स बंधाने के लिए पहुंचने वाले ग्रामीण खुद अपनी आंखों के आंसू नहीं रोक पा रहे थे।