योजना सफल हुई तो फिर पीने को मिलेगा कुएं का ठंडा पानी
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जौनपुर। तालाबों के जीर्णोद्धार के बाद अब अस्तित्व खो रहे कुओं को मनरेगा से पुनर्जीवित किया जाएगा। कुओं को सहेजने की परंपरा समाप्त होने के बाद कभी जल संरक्षण में कारगर भूमिका निभाने वाले कुएं अब विलुप्त हो रहे हैं। ऐसे में विपरीत परिस्थितियों में भी बचे रह गए कुओं को दुरुस्त कराया जाएगा। इसमें उन गांवों के कुओं को प्राथमिकता में शामिल किया गया है जहां लोग अभी कुएं का पानी पी रहे हैं। सचिव व प्रधानों के माध्यम से सभी ब्लाकों से रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके बाद प्राचीन धरोहर को सहेजने के इस कार्य का शुभारंभ किया जाएगा।
1749 ग्राम पंचायतों में जहां 17 हजार से अधिक कुएं थे, वहीं अब इनकी संख्या बेहद कम हो गई है। पाताल में समा रहे जलस्तर की वजह से अधिकतर कुएं सूख गए हैं। यही वजह है कि अधिकतर लोग अब इन्हें पटवा रहे हैं। विषय परिस्थितियों में बचे रह गए कुएं जर्जर स्थिति में हैं। ऐसे में उन कुओं को प्राथमिकता के आधार पर दुरुस्त किया जाएगा जो अब भी उपयोग में हैं।
इस मुहिम में प्रधान व सचिवों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। उपयोग में लाए जा रहे कुओं की रिपोर्ट तैयार कर सभी संबंधित ब्लाकों को देंगे, जिससे आगे की औपचारिकताओं को पूरा किया जा सके। अगले कुछ दिनों में इस कवायद को पूरा करने की बात कही जा रही है।
तालाबों की तरह कुएं भी जल संरक्षण में कारगर भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे में यह पहल विलुप्त हो रहे कुओं को बचाने के लिहाज से की जा रही है। तालाबों की तर्ज पर कुओं के भी दुरुस्त होने से जल संरक्षण की मुहिम को बल मिलेगा।