बकरा मंडी से लेकर सेंवई, दूध और खोवा का बाजार रहा फीका
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जौनपुर। कोरोना की दूसरी लहर के बाद ईद उल अजहा (बकरीद) के त्योहार से जुड़े सामान की खरीदारी में सोमवार को तेजी नजर नहीं आई। बकरा मंडी से लेकर सेंवई, दूध और खोवा का बाजार फीका रहा। हालांकि दूध और खोवा के दाम में तेजी रही। वहीं बकरे की कीमत भी 40 से 50 हजार तक ही पहुंच पाई। कुल मिलाकर लगातार दूसरी बार भी ईद उल अजहा से जुड़े कारोबार में मंदी ही देखने को मिली।
पिछले साल की तरह इस साल भी ईद उल अजहा की तैयारियों में खास उत्साह नजर नहीं आया। लोग महज जरूरत के सामान ही खरीदते नजर आए। कोरोना के पहले जिस तरह की तेजी बकरों के दाम में नजर आती थी, वह इस बार भी नजर नहीं आई। बकरों की कीमत 40 से लेकर 50 हजार तक ही चढ़ पाई। पहले खास और खूबसूरत बकरे एक लाख रुपये तक के भी बिक जाया करते थे। इस बार शहर में लगने वाली तीन मंडियों कटघरा, मखदूम शाहअढ़न और नवाब साहब के अहाते में सोमवार को ग्राहकों की कमी देखी गई। पहले यह बाजार खरीदारों से खचाखच भरे रहते थे। यही हाल सेवइयों का भी रहा। सेंवई की कीमत 80 से लेकर सौ रुपये तक ही पहुंच पाई। दुकानों पर भी पहले जैसी भीड़ न•ार नहीं आई। वहीं, दूध की कीमत में उछाल देखने को मिला। आम दिनों में 50 से 60 रुपये तक बिकने वाला दूध ईद उल अजहा की वजह से सौ रुपये लीटर तक पहुंच गया। खोवा के दाम में भी बढ़त नजर आई। दो से ढाई सौ रुपये तक बितने वाला खोवा साढ़े तीन सौ तक मार्केट में बिका। बलुआघाट निवासी इरशाद मंसूरी ने बताया कि कोरोना काल में इस साल भी ईद उल अजहा का त्योहार पहले के मुकाबले फीका ही नजर आ रहा है। बारादुअरिया निवासी आरिफ हबीब ने बताया कि कोरोना ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। यही हाल रहा तो व्यापार में मंदी बनी रहेगी। मीरमस्त निवासी •ाफर मसूद ने बताया कि लगातार दूसरे साल भी त्योहार पर रौनक न•ार नहीं आ रही। अल्लाह पूरी दुनिया को कोरोना से निजात दिलाएं।