यह शख्स था कभी हाकी का सुपर हीरो, आज बन गया है पत्रकारिता का सितारा

जौनपुर। अपनी कलम के माध्यम से गरीबों मजलूमों की आवाज बुलंद करने वाले कलम के सच्चे सिपाही रूद्र प्रताप सिंह कभी हाकी के मैदान के सुपर हीरो हुआ करते थे। उनके जादूई स्टीक से आस्टेªलियायी टीम भी गच्चा खा गयी थी। लेकिन अफोस की बात यह रही कि सही कोच और सही गाइड लाइन न मिलने के कारण रूद्र की प्रतिभा अवधी व भोजपुरी मिट्टी में दब कर रह गयी। अब वे पिछले करीब 16 वर्षो से हिन्दुस्तान अखबार से जुड़कर पत्रकारिता की अलख जगा रहे है। 

केराकत तहसील के बमबावन गांव के मूल निवासी व वर्तमान में नगर कोतवाली क्षेत्र के प्रताप कालोनी रूहट्टा निवासी रूद्र प्रताप सिंह रघुवंशी की पहचान सन् 2000 तक एक हाकी खिलाड़ी के रूप हुआ करती थी। वे हाकी के बेहतरीन खिलाड़ी थे। 1992 से लेकर 1999 तक वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के हाकी के खिलाड़ी थे तथा कई बार कप्तान भी रहे। 

1996 में अंतर विश्वविद्यालयी हाकी टूर्नामंेट नई दिल्ली के शिवाजी स्टेडियम में आयोजित किया था उस प्रतियोगिता में पूर्वांचल विश्वविद्यालय टीम का मुकाबला अस्टेªलिया के एक विश्वविद्यालय की टीम से हुआ। इस खेल में रूद्र प्रताप के रौद्र रूप के आगे आस्टेªलियायी टीम पानी मांगने लगी थी। रूद्र प्रताप की प्रतिभा के देखकर भारतीय टीम के कोच राजेन्द्र सिंह ने उन्हे फारवर्ड खेलने के बजाय बैकवर्ड प्लेस पर खेलने का मसवीरा दिया था। उसके बाद रूद्र प्रताप सिंह हाकी को अपना भगवान मानकर आगे खेलते रहे लेकिन कोई हाकी का पण्डित न मिलने के कारण वे अंधेरे में खोते गये। 

टीडी कालेज में हाकी व अन्य होने वाले खेलो का समाचार अखबार के दफ्तरो तक पहुंचाने का जिम्मा भी रूद्र ने अपने कंधे पर ही ले लिया था जिसके कारण वे पत्रकारों के चहेते बन बैठे । हिन्दुस्तान अखबार ने उन्हे खेल प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया तो वे यह जिम्मेदारी बखूबी निभाते हुए आज एक हाकी खिलाड़ी पत्रकारिता जगत का चमकता सितारा बन गया।  

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