योगी सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे है विभागीय अधिकारी, दो वर्ष से धूल फाक रही है जांच मशीन
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जौनपुर। योगी सरकार गरीब मरीजों का मुफ्त इलाज कराने के लिए तमाम चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया करा रही है। इसके लिए तमाम योजनाओं के माध्यम से अत्याधुनिक उपकरण भी अस्पतालों में उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते योगी सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है। इसका एक और उदाहरण देखने को मिल है जिला अस्पताल में यहां पर 60 प्रकार गम्भीर रोगो की जांच के लिए आयी मशीन दो वर्षो से धूल फाक रही है। विभागीय उदासीनता के चलते गरीब मरीजों को पैसा देकर बाहर से जांच करानी पड़ रही है। सूत्रों की माने तो बाहर जांच करने वाले पैथोलॉजी संचालकर इसके एवज में अस्पताल के डाक्टरों को भारी कमीशन देते है।
जिला अस्पताल में उपचार करा रहे मरीज गंभीर बीमारियों की जांच कराने के लिए प्राइवेट पैथालाजी या विभिन्न महानगरों में भेजे जाते हैं। साधन संपन्न लोग तो आसानी से जांच करा लेते हैं, लेकिन गरीब-गुरबे कर्जदार हो जाते हैं। इस समस्या के निराकरण के लिए सरकार ने जिला अस्पताल में सुविधा प्रदान की है। एक करोड़ लागत की अत्याधुनिक मशीन अस्पताल में दो साल पूर्व मुहैया कराई गई है। मशीन आने पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने लंबा-चौड़ा बयान दिया था। कहा था कि अब 60 प्रकार की जांचों की सुविधा अस्पताल में मिलेगी।
विभागीय खामी के कारण आज तक मशीन इंस्टाल ही नहीं हो पाई है।
जिले के अधिकारी ही नहीं विकास को लेकर भाषणबाजी करने वाले जनप्रतिनिधि भी जीवनोपयोगी सुविधा से वंचित लोगों की इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
बाहर से जांच कराने पर 40 से 60 फीसद तक मिलता कमीशन
राज्य सरकार ने सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपचार की व्यवस्था लागू की है। एक रुपये के पर्ची पर परीक्षण व दवाएं भी मुफ्त देने की व्यवस्था है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। सूत्रों की माने तो एक-दो लाल-पीली गोलियां थमाकर बाकी बाहर से खरीदने के लिए कह दिया जाता है। इतना ही नहीं चिकित्सक अधिकांश जांचें बाहर से कराते हैं। इस एवज में उन्हें 40 से 60 फीसद तक कमीशन मिलता है। कहा जाता है कि इसी लाभ के चलते अस्पताल में हार्मोन संबंधी महंगी जांचों को शुरू नहीं किया जा रहा है।
अपने कृपा पात्रों को नुकसान न हो इसलिए जनप्रतिनिधि भी नजर हटा लिए हैं।
सीएमएस अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि जांच की मशीन आई है। कुछ दिन पहले उसे इंस्टाल करा रहे थे, लेकिन कुछ तकनीकी खराबी आने से रोक दिया गया। इसे ठीक कराने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है।