अधिवक्ता विकास तिवारी ने जिला न्यायाधीश को लिखा पत्र
सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए 16 अप्रैल 2015 ई. कहा था कि गांधी को उच्च स्थान प्राप्त है। अपने न्याय दृष्टांत में न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत की बेंच ने कहा कि महात्मा गांधी जी को अपशब्द नहीं कहें जा सकते हैं और न ही उनके चित्रण के दौरान अश्लील शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता है, स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्रपिता को कहें गये अपशब्दों को सही नहीं ठहराया जा सकता है।माह जनवरी वर्ष 2020 ई. में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि महात्मा गांधी को किसी औपचारिक मान्यता की आवश्यकता नहीं है वो राष्ट्रपिता हैं,लोग उनमें उच्च सम्मान रखते हैं।लेकिन वर्तमान समय में हमारे भारत देश में निवास करने वाले कुछ लोग जो विभाजनकारी मानसिकता रखते हैं के द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपशब्द कहे जा रहे हैं।
वहीं 17 और 19 दिसंबर 2021 के बीच दिल्ली और हरिद्वार में आयोजित दो अलग-अलग कार्यक्रमों में नफरत भरे भाषणों में एक समुदाय विशेष के नरसंहार के खुले आवाहन शामिल है।उपरोक्त घटनाएं और उनके दौरान दिए गए भाषण केवल अभद्र भाषा नहीं है बल्कि भारत के लोगों के बीच नफरत फैलाने का खुला आवाहन है। इस प्रकार उक्त भाषण न केवल हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा है बल्कि लाखों लोगों के जीवन को भी खतरे में डालते हैं। उक्त विषयक पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुए दोषी व्यक्तियों के खिलाफ धारा 120बी,121ए,153ए,153बी,295ए,298 भारतीय दण्ड संहिता के तहत कार्यवाही करने की मांग की गयी है।