अहले मदीना की सदाओं से गूंजा बड़ागांव

शाहगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के बड़ागांव में रविवार को देश का प्रथम ऐतिहासिक जुलूस अमारी का आयोजन हुआ। जुलूस का नेतृत्व हुसैनी मिशन के अध्यक्ष सैयद जीशान हैदर ने किया। कार्यक्रम का संचालन सैयद परवेज मेहंदी व असगर मेहंदी गुड्डू ने संयुक्त रूप से किया। जुलूस का शुभारंभ सैयद जीशान हैदर की तकरीर से हुआ। ऐतिहासिक जुलूस में देश प्रदेश की प्रसिद्ध अंजुमनों ने हिस्सा लेकर अपने अंदाज में नौहा व मातम पेश किया। इसमें स्थानीय अंजुमन नासरुल अज़ा, अंजुमन गुंच-ए-नासेरूल अज़ा, अंजुमन तमन्ना-ए-ज़हरा, अंजुमन करवान-ए-अज़ा समेत देश भर की तीन दर्जन से अधिक अंजुमनों ने जुलूस में हिस्सा लेकर नजरान-ए-अकीदत पेश किया।

स्थानीय अंजुमन गुंच-ए नासिरुल अज़ा ने सभी आने वाले अतिथियों और अंजुमनों के भोजन आदि की व्यवस्था में अहम योगदान दिया। अंजुमन तमन्ना-ए-जहरा द्वारा जुलूस में आए हुए श्रद्धालुओं के लिए चाय, पानी शरबत की सबीलों का इन्तेजाम किया। ऐतिहासिक जुलूस रविवार को प्रातः 4 बजे अलम, सबीह-ए-जुलजनाह, अमारियों के साथ निकाला गया। बताते चलें कि जुलूस बाद नमाज़ फज़्र पंजा शरीफ से बरामद हो कर अपने निर्धारित मार्ग से होता हुआ मगरिब के वक्त चहार रौज़ा पर पहुंच कर संपन्न हुआ।
जुलूस का मुख्य उपदेश कर्बला की जंग के बाद यजीद से रिहाई मिलने पर जनाब-ए-जैनब का लुटा काफिला कूफा से मदीना पहुंचने की याद में जुलूस का आगाज होता है। जुलूस में मौलाना वसी हसन फैजाबादी, मौलाना शौकत रिज़वी, समेत दर्जनों धर्म गुरुओं ने अपनी तकरीर में कर्बला की जंग और यजीद की नापाक हरकतों का ज़िक्र किया। यज़ीद इस्लाम और मानवता को शर्मसार कर देना चाहता था। इमाम हुसैन ने अहिंसा को अपनाकर बलिदान दिया और मानवता को हमेशा के लिए शर्मसार होने से बचा लिया।

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