पत्रकार के सवाल पर राज्यमंत्री को नाराजगी क्यों?

 प्रमोद जायसवाल


पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी द्वारा बुलाये गए एक प्रेस कान्फ्रेंस में सूबे के राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव आज तक के पत्रकार के सवाल पर भड़क गए। बुरा भला कहते हुए देख लेने की धमकी दी। राज्यमंत्री के इस आचरण से जहां मीडियाकर्मियों में भारी आक्रोश है वहीं विपक्षी दल भी सरकार पर हमलावर हो गए हैं। भाजपा नेताओं पर तानाशाही के आरोप लग रहे हैं। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के संबंध में दोनों तरफ से तमाम तर्क कुतर्क गढ़े जा रहे हैं। राज्यमंत्री के समर्थकों का कहना है कि प्रेसवार्ता सदस्यता अभियान के संबंध में बुलाई गई थी वहां एसटीपी और अन्य विकास से जुड़े मुद्दे पर क्यों सवाल पूछे गए?

यहां समझने वाली बात यह है कि प्रेस वार्ता में सभी पत्रकार भाजपा के आमंत्रण पर गए थे। प्रेसवार्ता का मतलब ही है कि सवाल जवाब किए जाए। अगर पार्टी को सदस्यता अभियान के अलावा और किसी मुद्दे पर वार्ता करने से परहेज था तो उन्हें प्रेसवार्ता बुलाने के स्थान पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर देना चाहिए था अथवा आमंत्रण में एक शर्त जोड़ देना चाहिए था कि केवल सदस्यता अभियान से ही संबंधित सवाल पूछे जाएंगे। फिलहाल इस घटना ने सत्तासीन नेताओं और पत्रकारों के बीच एक दरार पैदा कर दिया है।


पत्रकारों पर प्रहार की यह पहली घटना नहीं


सरकार की नीतियों एवं योजनाओं का प्रचार प्रसार करने तथा जनहित के मुद्दों को उठाने वाले खबरनवीसों पर प्रहार की यह पहली घटना नहीं है। राज्यमंत्री ने अपने अमर्यादित व्यवहार से पार्टी और सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। इसके अलावा अन्य दलों के नेता भी मनमाफिक सवाल न पूछे जाने पर पत्रकारों से उलझते रहे हैं। मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक होटल में पत्रकार वार्ता के दौरान अपने कार्यकर्ताओं एवं सुरक्षाकर्मियों को पत्रकारों पर हमले के लिए उकसा दिया था। इसमें कई मीडियाकर्मी घायल हो गए थे। सपा सुप्रीमो सहित 20 अज्ञात लोगों पर इस मामले में मुकदमा  दर्ज हुआ था। अखिलेश यादव ने एक अन्य स्थान पर भी पत्रकार से नाराज होकर उसकी जाति पूछी थी। हाथरस में एक युवती से छेड़छाड़ के मामले में एक पत्रकार ने अखिलेश से सवाल पूछा तो उसे बिका हुआ बता दिया। राहुल गांधी भी लोकसभा चुनाव के दौरान अनेक पत्रकारों पर भड़कते नजर आए थे।


राज्यमंत्री ने किया अपना राजनैतिक नुकसान


पत्रकारवार्ता के दौरान राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव को अपना आपा नहीं खोना चाहिए था। संयम से काम लेना चाहिए था। अमर्यादित व्यवहार से उन्होंने अपना बहुत बड़ा राजनीतिक नुकसान कर लिया है। विपक्षी सहित अपने दल के भीतर के विरोधियों को भी मुखर होने का मौका दे दिया है। उन्हें याद रखना चाहिए कि भाजपा ने अपनी 'सबका साथ सबका विकास' की नीति के तहत पार्टी के कई समर्पित निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर उन्हें टिकट दिया था और मंत्री पद से भी नवाजा। इस प्रकरण की गूंज लखनऊ होते हुए दिल्ली तक पहुंच चुकी है। पार्टी पत्रकारों को नाराज नहीं करना चाहती है। अगर पार्टी ने एक्शन ले लिया तो उन्हें मंत्री पद से हाथ धोने के साथ 2027 में टिकट से भी वंचित होना पड़ सकता है।


शुरुआती दौर से ही आरोपों के घेरे में एसटीपी

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की नमामि गंगे अमृत योजना शुरूआती दौर से ही आरोपों के घेरे में रही है। इस योजना के तहत बनने वाली सीवर लाइन में मानक के विपरीत कार्य होने के आरोप लगते रहे हैं। निर्धारित समय बीत जाने के बाद भी खामियों तथा अनियमिताओं को दूर नहीं किया गया। आमजन द्वारा इतना फजीहत झेलने के बाद भी योजना के सफल होने पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है। जब यह योजना शुरू हुई थी तो नगर विकास मंत्रालय वर्तमान खेल मंत्री स्वतंत्र प्रभार गिरीश चंद्र यादव के पास ही था।

Related

JAUNPUR 3918151587795764853

एक टिप्पणी भेजें

emo-but-icon

AD

जौनपुर का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आज की खबरे

साप्ताहिक

सुझाव

संचालक,राजेश श्रीवास्तव ,रिपोर्टर एनडी टीवी जौनपुर,9415255371

जौनपुर के ऐतिहासिक स्थल

item