कानूनी दांवपेंच में उलझी एक मुस्लिम महिला
37 वर्षों से भारत में रह रही मुस्तरी बेगम
जौनपुर। जिले के तेजीबाजार थाना क्षेत्र के कान्हापुर गांव में 37 वर्षों से रह रही एक मुस्लिम महिला अब वह कानूनी दांवपेंच में उलझ कर रह गई है। कागजों के अभाव में वह भारत की नागरिक होने का सबूत नही पेश कर पा रही है।
गाजीपुर जनपद के सैदपुर थाना क्षेत्र के डहरा गांव निवासी अब्दुल हमीद ने अपनी पुत्री मुस्तरी का विवाह 1984 में पाकिस्तान के न्यू कराची में मोहमद अरशद के साथ किया था, वहां दामाद की 1986 में इंतकाल हो गया। मुस्तरी दुबारा भारत देश अपने गांव लौट आई। कम उम्र रहने पर पिता ने दुबारा मुस्तरी का निकाह तेजीबाजार थाना क्षेत्र के कान्हापुर गांव में मुस्ताक अली के साथ कर दिया।
1988 में पाकिस्तान से लौटकर आई मुस्तरी बेगम का निकाह होने के बाद, उसने पासपोर्ट को दिल्ली एंबेशी में जमा कर दिया, और मुस्ताक अली के साथ जीवन निर्वाह करने लगी। मुस्तरी ने चार बेटे राजशेख, सुहेल, सैफ, शोएब और तीन बेटियों को भी जन्म दिया। सभी बच्चे बालिग हो गए हैं सभी का शादी विवाह हो गया है।
37 वर्षों से कान्हापुर गांव में रहने पर स्थानीय पते पर आधार कार्ड बन गया, और वह पाकिस्तान की नागरिकता छोड़ने को लेकर कोई भी कार्रवाई नहीं किया। पहलगाम हमले के बाद सरकार के सख्त रवैए और पाकिस्तान नागरिकों को भारत छोड़ने के आदेश से मामला कानूनी प्रक्रिया मे उलझ गया है। अब ऐसे में वक्त में मुस्तरी के सामने समस्या उठ खड़ी हुई है। स्थानीय पुलिस ने मुस्तरी से वैधानिक कागज मांगा है। मुस्तरी का कहना है कि मेरा लगभग 17 वर्ष पहले पासपोर्ट दिल्ली एंबेशी में जमा है। 37 वर्षों से मै कन्हापुर गांव में रह रही हूं। इस संबंध में थानाध्यक्ष दिव्य प्रकाश सिंह का कहना है मुस्तरी बेगम से कानूनी कागज की मांग किया गया है।