अनैतिक, अमानवीय और असंवैधानिक कार्यशैली पर तत्काल अंकुश लगायी जाय: वकार हुसैन

जौनपुर। रिमूव करप्शन मिशन के संचालक एवं हिंदुस्तान मानवाधिकार संस्था के राष्ट्रीय महासचिव वकार हुसैन ने देश के राष्ट्रपति, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश पुलिस की अनैतिक, अमानवीय और असंवैधानिक कार्यशैली की शिकायत करते हुए तत्काल इस पर अंकुश लगाने हेतु सख्त दिशा निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।

बताते चलें कि जनपद के मुंगराबादशाहपुर थानेदार द्वारा एक युवक की बर्बरता से की गई पिटाई से भी वे आहत हुए हैं। मीडिया से बातें करते हुए उन्होंने कहा कि आम लोगों के लिए पुलिस ऐसी ही होती है। उन्होंने लिखा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के 78 वर्षों बाद आज भी हमारी पुलिस आम लोगों के लिए खौफ व दहशत का पर्याय बनी हुई है जबकि सुरक्षा का दायित्व संभालते समय ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा की शपथ लेती है और उनके बेल्ट व टोपी पर भी सत्मेव जयते का आदर्श और मार्गदर्शन लिखा होता है परन्तु सरकारी वर्दी का खाकी रैपर शरीर पर चढ़ाते ही बोली भाषा सब अमानवीय हो जाता है। फिर न नियम कानून का ध्यान न ही मानवाधिकार का कुछ सम्मान। गालियां, किसी को थप्पड़ तो किसी को लाठियों से पीट डालते हैं या आक्रोश में पीटते—पीटते मार ही डालते हैं जिसके बाद झूठी कहानी गढ़ने में माहिर हमारी पुलिस हत्या को आत्महत्या साबित करने का प्रयास चाहे दो फिट ऊंची टोटी से शव को लटकता ही क्यों न दिखाना पड़े। रात हो या दिन, घर में केवल महिलाएं ही क्यों न हों, बिना किसी जुडिशिया वारंट घरों में घुसकर तोड़—फोड़, लूटपाट और तांडव, महिलाओं की आबरू तक सुरक्षित नहीं रह जाती है। द्वेष भावना या धन लोभ के उद्देश्य से किसी को भी उठाकर बिना जीडी एंट्री टार्चर किया जाता है।
उन्होंने कहा कि यदि मुंह मागा धन न मिल सका तो चरस गांजा, कट्टा पिस्टल या नारकोटिक्स दिखाकर धारा 21/22, एनडीपीएस के तहत बिन किए अपराध की सजा दिल देते हैं। पुलिस के इसी फर्जीवाड़ा के चलते बहुत से निर्दोष लोग भी जेल की सज़ा काट रहे हैं। फर्जी एनकाउंटर न्याय और मानवाधिकार दोनों को शर्मसार कर रहा है। अनेकों बार उच्चतम न्यायालय ने दोषी पुलिसकर्मियों को सजाएं दी है। आजकल बड़ी चिन्ता का विषय यह है कि अपने किसी विरोधी की हत्या किसी पेशेवर अपराधी से करवाने से आसान पुलिस के फर्जी एनकाउंटर से कराया जा रहा है। कितने ही पुलिसकर्मी छिनौती, लूट, रंगदारी, डकैती और रेप के मामलों पकड़े और दोषी पाए गए हैं। ऐसा कोई भी थाना नहीं जिसमें बिना पैसा, किसी की शिकाया पर सहायता की जाती हो।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2006 में उन्होंने तत्काल राष्ट्रपति से पासपोर्ट आवेदकों से रिपोर्ट लगाने के नाम पर धनउगाही की शिकायत की थी तो जांच में  तत्कालीन सरायख्वाजा थानाध्यक्ष, एक दरोगा, दीवान, मुंशी और एलआईयू के दो अधिकारियों को दोषी पाया गया था परन्तु आज भी पासपोर्ट आवेदकों से धनउगाही की जा रही है। उन्हें थानों में बुलाकर खामियों का खौफ दिलाकर मोटी रकम ऐंठ ली जाती है। थानों में बिना पैसा या दलाल, आम आदमी कदम रखने का भी साहस नहीं कर सकता है जबकि अपराधी, माफिया और दबंगों को कोई खौफ नहीं। थानों में कारखस के नाम से काम करने वाली पुलिस केवल थाना क्षेत्र के अवैध धंधों से वसूली की जिम्मेदार होती है जो उन्हें जुए शराब वेश्यावृत अड्डों, काल गर्ल्स सेंटर्स व होटलों में चलने वाले देह व्यापार और सवारी धोने वाले वाहनों से प्राप्त होते हैं। किसी मकान या भूमि पर कब्जा दिलाना भी एक बड़ी आमदनी का हिस्सा है।
उन्होंने ने यूपी पुलिस 112 के संबंध में लिखा कि लोगों की तत्काल के नाम पर यह पुलिस, रंगदारी और धनउगाही में व्यस्त रहती है। पक्ष विपक्ष दोनों से धन उगाही कर केवल औपचारिकता दिखा कर चली जाती है। शीर्ष अधिकारियों को भेजे गये पत्र में लिखा कि एक समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर अक्सर लोग पुलिस के संबंध में उनसे सहायता चाहते हैं परन्तु भ्रष्टाचार के शक्तिशाली साम्राज्य के सामने उनकी बातें अनसुनी कर दी जाती है, बल्कि पुलिस की वास्तविकता इतने स्पष्ट शब्दों में लिखने के ही कारण पुलिस की नाराजगी का सामना भी करते रहते हैं।

Related

जौनपुर 7187330837144689519

एक टिप्पणी भेजें

emo-but-icon

AD

जौनपुर का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आज की खबरे

साप्ताहिक

सुझाव

संचालक,राजेश श्रीवास्तव ,रिपोर्टर एनडी टीवी जौनपुर,9415255371

जौनपुर के ऐतिहासिक स्थल

item