भांजे की चालबाज़ी से टूटा मामा का भरोसा, बैंककर्मियों की मिलीभगत से हड़पे 6 लाख रुपये!
नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज, पुलिस जांच में जुटी
जौनपुर। अपने ही सगे भांजे की बेवफाई और बैंक कर्मियों की साज़िश के चलते एक 77 वर्षीय बीमार वृद्ध न केवल ठगी का शिकार हो गया, बल्कि जीवनभर के भरोसे को भी तार-तार होते देख रहा है। मामला शहर कोतवाली के पॉलीटेक्निक चौराहा का है, जहां वाजिदपुर दक्षिणी निवासी एक टाइल्स कारोबारी ने अपने कोलकाता निवासी मामा रामचंदर साव के साथ धोखाधड़ी की है।रामचंद्र का आरोप है कि करीब दो दशक पूर्व भाइयों से अलग होने के बाद उक्त व्यापारी ने उनसे कुछ महीनों के लिए मकान रहने के नाम पर लिया और भरोसा दिलाया कि वह साल भर में अपना मकान बनवा लेगा। वर्ष 2019 में व्यापार विस्तार के नाम पर मामा से 6 लाख रुपये उधार भी ले लिए, जो रामचंदर ने उसके बेटे के खाते में ट्रांसफर कर दिए। सगे भांजे पर भरोसा कर उन्होंने मकान और नकदी दोनों सौंप दिए।
जब वृद्ध मामा ने बीमारी और उम्र का हवाला देकर मकान खाली कराने और रुपये वापस मांगने की कोशिश की, तो कारोबारी ने चालाकी से मार्च 2025 में तीन अलग-अलग तारीखों पर (15, 17 और 18 मार्च) रामचंदर के नाम से दो-दो लाख के तीन चेक काटे। लेकिन बैंककर्मियों से मिलीभगत कर खुद ही वह राशि निकाल ली। चूंकि चेक बियरर थे, इसलिए निकासी बैंक स्टेटमेंट में रामचंदर साव के नाम पर दर्ज हो गई।
यही स्टेटमेंट पीड़ित को दिखाकर व्यापारी ने दावा किया कि सारा पैसा वापस कर दिया गया है। लेकिन जब रामचंदर साव खुद बैंक पहुंचे, तो सच्चाई सामने आई — निकासी उन्होंने नहीं की थी, बल्कि व्यापारी और उसके बेटे ने बैंककर्मियों की मिलीभगत से पूरी रकम हड़प ली थी।
इतना ही नहीं, मकान पर कब्जा बनाए रखने के लिए कारोबारी ने दीवानी न्यायालय में फर्जी वाद भी दाखिल कर दिया। अब 77 वर्षीय वृद्ध रामचंदर साव अपनी बेटी और भतीजे दिलीप साव के साथ न्याय के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।
पीड़ित की शिकायत पर नगर कोतवाली में ओमप्रकाश जायसवाल और उनके बेटे राजीव जायसवाल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 319, 318, 316, 115, 351 व 352 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस अधीक्षक ने विवेचना का जिम्मा सरायपोख्ता चौकी प्रभारी को सौंपा है, वहीं जिलाधिकारी ने सिटी मजिस्ट्रेट को मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है।