"बम आंखों के सामने गिरते थे... दिल दहल उठता था"
युद्धग्रस्त ईरान से सकुशल लौटी फरीदा, भारत सरकार से की विशेष अभियान की मांग
जौनपुर। ईरान में युद्ध के साये से निकलकर सकुशल अपने वतन लौटने वाली फरीदा सरवत की आंखों में अब भी भय के वो पल ताज़ा हैं, जब चारों ओर सिर्फ धमाकों की आवाज़ें गूंज रही थीं और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे। वतन वापसी के बाद एक अख़बार के पत्रकार से खास बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "जब आंखों के सामने बम गिरते थे, तो शरीर कांप उठता था। दिल बार-बार यही सोचता था कि क्या हम कभी अपने देश वापस लौट पाएंगे?"फरीदा ने बताया कि जैसे ही भारत लौटने की तैयारी कर रही थीं, युद्ध शुरू होने की खबर ने सभी योजनाओं को ठप कर दिया। उड़ानें रद्द कर दी गईं और संचार भी प्रभावित हो गया। भारतीय दूतावास से संपर्क कर सांत्वना तो मिली, लेकिन सुरक्षा को लेकर आश्वासन बहुत कम था।
बाद में कठिन परिस्थितियों में उन्होंने ट्रेन, फिर हवाई मार्ग से सऊदी अरब होते हुए लखनऊ एयरपोर्ट तक का सफर तय किया और वहां से सड़क मार्ग द्वारा शाहगंज स्थित अपने घर पहुंचीं। उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया कि “ईरान में अभी भी फंसे भारतीय नागरिकों और छात्रों की सुरक्षित वापसी हेतु विशेष अभियान चलाया जाए।”
परिवार में लौटी रौनक, बच्चों की आंखों में खुशी के आंसू
फरीदा सरवत मूल रूप से आज़मगढ़ जिले के सरायमीर की रहने वाली हैं और फिलहाल जौनपुर के शाहपंजा मोहल्ले में अपने परिवार—पति अहमद नकी, बेटी अरीबा और बेटों अली, गाज़ी व वाहिद—के साथ निवास करती हैं। जैसे ही उनके सकुशल लौटने की खबर मिली, बच्चों की आंखें खुशी से नम हो गईं। भाई सुलेमान ने भावुक होते हुए कहा, “जिन लम्हों में सांसें अटकी थीं, आज उसी डर से हमें राहत मिली है। अब घर फिर से घर लगने लगा है।”