शिराज ए हिंद की सरज़मीं पर फिर गूंजा समर्पण और सद्भाव का पैग़ाम


जौनपुर। ईद-उल-अजहा यानी बकरीद, वो मुकद्दस त्योहार जब एक बंदा अल्लाह की राह में अपना सबसे प्यारा कुछ कुर्बान करता है। यह कुर्बानी केवल जानवर की नहीं, बल्कि अपनी इच्छाओं, घमंड और बुराइयों की भी होती है। यही वजह है कि अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी... और इस पवित्र भावना को आत्मसात करते हुए जौनपुर में भी आज बकरीद के पाक मौके पर इबादत और इंसानियत का एक शानदार दृश्य देखने को मिला।

शाही ईदगाह, मछलीशहर पड़ाव पर हजारों की तादाद में लोगों ने एकजुट होकर ईद की नमाज़ अदा की। सुबह 8:15 बजे मौलाना जाहिद ख़ुसैमा सिद्दीकी ने नमाज अदा कराई और अपने खुतबे में बताया कि

बकरीद महज़ एक जानवर की कुर्बानी नहीं, बल्कि दिल की पाकीज़गी, समाज के प्रति जिम्मेदारी और इंसानी हकूक की हिफाजत की तालीम है।

उन्होंने आगे कहा कि

सच्ची कुर्बानी वही है जब इंसान अपने पड़ोसी के हक अदा करे, समाज में मोहब्बत और भाईचारा फैलाए, और किसी के हुकूक पर ज़ुल्म न करे।

मौलाना ने समाज में फैल रही अफवाहों और भ्रामक जानकारियों पर चिंता जताते हुए अपील की कि

कौम के लोग व्हाट्सएप और यूट्यूब पर फैलाई जा रही तकरीरों से प्रभावित न हों। दीनी मसलों में अपने क्षेत्र के आलीम से ही मार्गदर्शन लें, ताकि दीन सही रास्ते पर चले और कोई गलतफहमी ना फैले।

बकरीद का यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि सच्चा मुसलमान वही है जो अपने रब की राह में हर वह चीज़ कुर्बान करने को तैयार हो जो उसे गलत राह पर ले जाए।
आज जौनपुर की फिज़ाओं में सिर्फ अल्लाहु अकबर की सदा नहीं, बल्कि इंसानियत, अमन और तालीम का पैग़ाम भी गूंजता नजर आया।



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