"गीता-योग और गणित के संगम से सजेगा अब बच्चों का भविष्य!"
भारतीय शिक्षा बोर्ड की बैठक सम्पन्न, 'स्वदेशी शिक्षा' का हुआ शंखनाद
जौनपुर । शंखनाद और दीप प्रज्ज्वलन के साथ जब होटल रिवरव्यू के सभागार में भारतीय शिक्षा बोर्ड की बहुप्रतीक्षित बैठक शुरू हुई, तो ऐसा लगा मानो एक नई शैक्षिक क्रांति का सूत्रपात हो रहा हो। आधुनिक विज्ञान और भारतीय परंपरा के संगम से नई शिक्षा व्यवस्था को दिशा देने की इस ऐतिहासिक पहल में जिलेभर से निजी स्कूलों के प्रबंधकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।बैठक की अध्यक्षता कर रहे भारतीय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. एन. पी. सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा – "अब शिक्षा केवल नौकरी तक सीमित नहीं रहेगी, यह बनेगी जीवन निर्माण और संस्कारों की आधारशिला।"
उन्होंने बताया कि बोर्ड की शिक्षा पद्धति नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के मूल उद्देश्यों को आत्मसात करते हुए वेद, उपनिषद, आयुर्वेद, योग और गीता जैसे भारतीय ज्ञान-कोष को आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ जोड़ने का संकल्प लेकर चल रही है।
मुख्य अतिथि जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र ने भी मंच से कहा –
"अब समय आ गया है कि डिग्रियों से आगे बढ़कर हम ऐसे नागरिक गढ़ें जो देश के लिए सोचें, जिएं और नेतृत्व करें।"
उन्होंने जिले के सभी स्कूलों से इस नई शिक्षा प्रणाली में भागीदार बनने का आह्वान किया।
इस अवसर पर डॉ. गोरखनाथ पटेल (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी), पतंजलि योग समिति के सह राज्य प्रभारी अचल हरीमूर्ति, भारत स्वाभिमान के जिला प्रभारी शशिभूषण, सामाजिक कार्यकर्ता संजय सेठ, तथा अनेक शिक्षाविदों, स्कूल प्रबंधकों और संस्थानों के प्रतिनिधियों ने उत्साह के साथ भाग लिया।
कार्यक्रम का संचालन ऊर्जावान शैली में अचल हरीमूर्ति ने किया और अंत में सभी प्रतिभागियों ने स्वदेशी शिक्षा आंदोलन को मजबूती देने का संकल्प लिया।
यह बैठक केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि शिक्षा की 'घर वापसी' का प्रारंभ थी – जहां आधुनिकता की चमक के साथ भारतीयता की सुगंध भी होगी।