तुलसीदास और प्रेमचंद की जयंती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में गूंजे साहित्यिक स्वर

 प्रेमचंद और तुलसीदास जयंती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

जौनपुर : कवि कुल शिरोमणि संत तुलसीदास एवं उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष्य में गुरुवार को एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में वक्ताओं ने दोनों महान साहित्यकारों के विचारों एवं कृतित्व पर व्यापक प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. डी. के. पटेल (हिंदी विभाग) एवं विशिष्ट वक्ता डॉ. बृजेश मिश्र (अंग्रेजी विभाग) ने तुलसीदास जी की कालजयी रचना रामचरितमानस और प्रेमचंद जी की यथार्थवादी रचनाओं की सामाजिक उपयोगिता पर विस्तृत चर्चा की।
प्रो. पटेल ने कहा कि –

"सुरसरि सम सब कर हित होई"
मानस गंगा की तरह सभी के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है।

डॉ. मिश्र ने बताया कि प्रेमचंद जी की कालजयी रचनाएँ गोदान एवं सोज़े वतन ने उस समय की ब्रिटिश सत्ता को भी हिला दिया था, और अंग्रेजी सरकार ने सोज़े वतन को जब्त करवा दिया था।

संगोष्ठी में छात्राओं ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। एम.ए. हिंदी की छात्रा आंचल यादव, बी.कॉम की अनन्या सिंह, बी.ए. की शुभी सिंह, एम.ए. गृह विज्ञान की काजल उपाध्याय, बी.ए. की रजनी, अनामिका, और सुप्रिया ने वक्तव्य प्रस्तुत कर अपनी सहभागिता दर्ज कराई।
अंजली पाल ने एक सुंदर पोस्टर के माध्यम से प्रेमचंद और तुलसीदास की जीवनवृत्ति को कलात्मक रूप में उकेरा, जिसे उपस्थितजनों ने खूब सराहा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. सुनील प्रताप सिंह ने की। कार्यक्रम में महाविद्यालय के अनेक प्राध्यापक – डॉ. रोहित सिंह, डॉ. शशिकला सिंह, डॉ. रेखा मिश्रा, डॉ. प्रसून सिंह, डॉ. अखिलेश मौर्य, डॉ. सुधाकर चतुर्वेदी, डॉ. अशेष उपाध्याय, डॉ. इन्द्रजीत सिंह, डॉ. संतोष सिंह, डॉ. हरिश्चंद्र सिंह, डॉ. अंसारी सहित अन्य विद्वजन उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन मिशन शक्ति संयोजक डॉ. पूनम श्रीवास्तव (हिंदी विभाग) ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रोहित सिंह द्वारा किया गया।

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