बोले संजय सिंह - सरकार पाठशाला बंद कर रही है, मधुशाला खोल रही है
जौनपुर। उत्तर प्रदेश सरकार के प्राथमिक स्कूलों के मर्जर अभियान को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इसी क्रम में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह मंगलवार को जौनपुर के सिकरारा ब्लॉक स्थित मीरगंज खास गांव पहुंचे, जहाँ उन्होंने बंद कर दिए गए प्राथमिक विद्यालय में बच्चों और अभिभावकों के साथ ज़मीन पर बैठकर संवाद किया और उनकी समस्याएं सुनीं।
बैठक के बाद संजय सिंह ने बच्चों और ग्रामीणों के साथ पैदल मार्च करते हुए उस स्कूल तक गए, जहाँ मीरगंज खास के बच्चों का मर्जर कर दिया गया है। इस दौरान उन्होंने सरकार की नीति को आड़े हाथों लेते हुए स्कूल मर्जर को शिक्षा विरोधी कदम करार दिया।
सरकार पर सीधा हमला:
संजय सिंह ने कहा, "उत्तर प्रदेश की सरकार पाठशाला बंद कर रही है और मधुशाला खोल रही है। यह फैसला ग्रामीण शिक्षा की रीढ़ तोड़ने वाला है। गरीब, ग्रामीण और पिछड़े तबके के बच्चों को शिक्षा से दूर किया जा रहा है।"
उन्होंने कहा कि स्कूलों का जबरन मर्जर करना संविधान में दिए गए शिक्षा के अधिकार के खिलाफ है और इससे हजारों बच्चों का भविष्य संकट में आ जाएगा। संजय सिंह ने कहा कि शराब के ठेके बढ़ाने वाली सरकार को शिक्षा की चिंता नहीं है, लेकिन आम आदमी पार्टी बच्चों की शिक्षा की लड़ाई हर मंच पर लड़ेगी।
सड़क पार कर कैसे जाएँगे मासूम?
संजय सिंह ने एक बच्चे को गोद में उठाकर प्रभावशाली और भावुक अपील करते हुए कहा कि यह मासूम ढाई किलोमीटर दूर हाईवे पार कर स्कूल कैसे जाएगा? अगर कोई दुर्घटना हो गई तो जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार क्या बच्चों की सुरक्षा की गारंटी लेगी?
सुप्रीम कोर्ट जाएंगे:
हाईकोर्ट द्वारा स्कूल मर्जर नीति के खिलाफ दायर याचिका खारिज किए जाने पर संजय सिंह ने अफसोस जताते हुए कहा कि अब आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट में जाएगी और वहां भी सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध करेगी।
ग्रामीणों में रोष, समर्थन में दिखी एकजुटता
इस मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण अभिभावक, महिलाएं और बच्चे मौजूद रहे, जिन्होंने संजय सिंह के साथ मर्जर स्कूल तक पैदल मार्च किया और विरोध दर्ज कराया। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई में बाधा आ रही है और कई परिवार बच्चों को स्कूल भेजने से डरने लगे हैं।
सिकरारा ब्लॉक का यह विरोध केवल एक गांव की आवाज़ नहीं, बल्कि प्रदेश भर में स्कूल मर्जर से प्रभावित हो रहे लाखों बच्चों और उनके परिजनों की पीड़ा का प्रतिनिधित्व करता है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस जनविरोध और कानूनी चुनौती के बीच अपने फैसले पर पुनर्विचार करती है या नहीं।