14 अगस्त को देश का बंटवारा और सांप्रदायिक दंगों का दंश झेला था : मीना चौबे
14 अगस्त की ऐतिहासिक तारीख ने कई खूनी मंजर देखे भारत का विभाजन खूनी घटनाक्रम का एक दस्तावेज बन गया : पुष्पराज सिंह
जौनपुर: देश की वर्तमान और भावी पीढ़ियों को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना और वेदना का स्मरण दिलाने के लिए 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने का फैसला मोदी सरकार द्वारा लिया गया है उसी के तहत आज कलेक्ट्रेट स्थित प्रेक्षागृह मे जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह के अध्यक्षता कार्यक्रम हुआ जिसकी मुख्य अतिथि प्रदेश मंत्री श्रीमती मीना चौबे जी रही और कार्यक्रम के संयोजक डीसीएफ चेयरमैन धनंजय सिंह रहे और कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री सुशील मिश्र ने की।
मुख्य अतिथि मीना चौबे ने कहा कि 14 अगस्त 1947 एक ऐसी तारीख है जिसे भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता इसी दिन भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान के नाम से दुनिया के मानचित्र पर एक नए राष्ट्र का उदय हुआ देश के विभाजन ने करोड़ों लोगों के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। लाखों लोग विस्थापित हुए और देश ने सदी के सबसे बड़े सांप्रदायिक दंगों के दंश को झेला। इस दिन हुई घटनाओं ने दक्षिण एशिया के भूगोल और इतिहास को बदलकर रख दिया। उन्होंने 1947 के विभाजन को कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति का काला अध्याय करार देते हुए कहा कि इस भीषण त्रासदी ने सनातन भारत की एकता को तोड़कर देश को पीड़ा दी। उन्होंने कहा कि आज 14 अगस्त 1947 की विभाजन विभीषिका को याद करते हुए पूरा देश शोकाकुल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में इस दिन को स्मृति दिवस घोषित कर इतिहास को जीवंत किया।
उन्होंने आगे कहा कि स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारियों ने फांसी के फंदे को गले लगाया लेकिन कांग्रेस ने सत्ता के लालच में देश का बंटवारा कराया उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिमी पाकिस्तान के लाहौर, कराची, रावलपिंडी, मुल्तान जैसे क्षेत्रों को हिंदू, सिख और बौद्ध विहीन बनाने का अभियान कांग्रेस की नीति का नतीजा था। इस हिंसा में 15-20 लाख लोगों की जान गई और करोड़ों विस्थापित हुए। यह अत्याचारों की पराकाष्ठा थी, जिसे कांग्रेस ने बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा कि जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई समुदाय के लोग घर-बार छोड़कर आए, उनके लिए तत्कालीन सरकार ने न स्मारक बनाए, न संग्रहालय स्थापित किए। उनकी पीड़ा को भुला दिया गया। इसके विपरीत, उन्होंने पीएम मोदी की सराहना की, जिन्होंने CAA के जरिए शरणार्थियों को नागरिकता और पुनर्वास का अधिकार दिया पहली बार जम्मू-कश्मीर और अन्य क्षेत्रों में शरणार्थियों को CAA से नागरिकता मिली। ये लोग भारत के विकास में योगदान दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने उनके पुनर्वास के लिए कभी प्रयास नहीं किया पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनकी स्मृतियों को हमारा नमन है। ब्रिटिश शासन में कुल 565 रियासतें थीं जिनमें से ज्यादातर रियासतों ने 14 अगस्त तक भारत या पाकिस्तान में रहने का अंतिम फैसला ले लिया था लेकिन जम्मू और कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ जैसी प्रमुख रियासतों का भविष्य अभी भी अनिश्चित था, जो आगे चलकर बड़े विवाद का कारण बना
राज्य सभा सांसद सीमा द्विवेदी ने कहा कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों-भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान गंवानी पड़ी
उन्होंने कहा कि विभाजन के कारण हुई हिंसा और नासमझी में की गई नफरत से लाखों लोग विस्थापित हो गए और कई ने जान गंवा दी उन लोगों के बलिदान और संघर्ष की याद में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के तौर पर याद किए जाने का निर्णय लिया गया है। मुहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान के पहल गवर्नर-जनरल के तौर पर शपथ ली देश के विभाजन की घोषणा के साथ ही बड़े पैमाने पर पलायन और सांप्रदायिक हिंसा शुरू हो गई थी। 14 अगस्त को यह त्रासदी अपने चरम पर थी। पाकिस्तान के हिस्से से बड़े पैमाने पर हिंदुओं का पलायन हुआ। विस्थापन के शिकार इन लोगों के चेहरों के सारे रंग गायब थे 14 अगस्त को मानव इतिहास का सबसे बड़ा पलायन हुआ। लाखों लोग जिनमें हिंदू, सिख और मुसलमान भी थे, अपनी जान बचाने के लिए एक ऐसे देश में जाने को मजबूर हुए जहां वे सुरक्षित महसूस कर सकें। ट्रेनों के जरिए, बैलगाड़ी, पैदल विस्थापन करते हुए लोगों पर हमले हुए रूह कंपा देनेवाला भीषण रक्तपात हुआ।
पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत का विभाजन देश के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं थी इसका दर्द आज भी देश को झेलना पड़ रहा है ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन ने पाकिस्तान को 1947 में भारत के विभाजन के बाद एक मुस्लिम देश के रूप में मान्यता दी थी लाखों लोग विस्थापित हुए थे और बड़े पैमाने पर दंगे भड़कने के चलते कई लाख लोगों की जान चली गई थी। इससे पहले ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के लिए भी लाखों भारतीयों ने कुर्बानियां दी थीं 14 अगस्त 1947 की आधी रात भारत की आजादी के साथ देश का भी विभाजन हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया विभाजन से पहले पाकिस्तान का कहीं नामो-निशान नहीं था अंग्रेज जा तो रहे थे, लेकिन उनकी साजिश का फलाफल था कि भारत को बांटकर एक अन्य देश खड़ा किया गया।
जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने कहा कि देश का बंटवारा हुआ लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से नहीं इस ऐतिहासिक तारीख ने कई खूनी मंजर देखे भारत का विभाजन खूनी घटनाक्रम का एक दस्तावेज बन गया जिसे हमेशा उलटना-पलटना पड़ता है दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातों-रात अपने ही देश में लाखों लोग बेगाने और बेघर हो गए धर्म-मजहब के आधार पर न चाहते हुए भी लाखों लोग इस पार से उस पार जाने को मजबूर हुए इस अदला-बदली में दंगे भड़के, कत्लेआम हुए. जो लोग बच गए, उनमें लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई. भारत-पाक विभाजन की यह घटना सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गई यह केवल किसी देश की भौगोलिक सीमा का बंटवारा नहीं बल्कि लोगों के दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था. बंटवारे का यह दर्द गाहे-बगाहे हरा होता रहता है. विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस इसी दर्द को याद करने का दिन है।
मुंगराबादशाहपुर विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी अजय शंकर दुबे ने कहा कि 14 अगस्त जहां पाकिस्तान के लिए एक नए राष्ट्र के तौर विश्व भूगोल पर खुद का स्थापित करने का दिन था वहीं लाखों लोगों के लिए यह विभाजन, विस्थापन, हिंसा का दिन था। 14 अगस्त को हुई घटनाओं ने दक्षिण एशिया के भूगोल और इतिहास को स्थायी रूप से बदल दिया।