भीमा का सपना’ ने रचा इतिहास – डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की प्रतियोगिता में टॉप 5 में शामिल

 

जौनपुर। गौहर गांव के सरकारी विद्यालय के छात्रों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती के अवसर पर भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत आयोजित एक विशेष प्रतियोगिता में बाजी मारी। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. बी. आर. अंबेडकर के विचारों, आदर्शों और समाज सुधार में उनके योगदान को रचनात्मक रूप से प्रस्तुत करना था।

प्रतियोगिता में देशभर से बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और विविध माध्यमों से बाबासाहेब के जीवन, संघर्ष एवं सपनों को दर्शाने का प्रयास किया। इसी कड़ी में प्रस्तुत की गई एक लघु फिल्म 'भीमा का सपना' को विशेष सराहना मिली और यह शीर्ष 5 सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियों में शामिल की गई।

इस उपलब्धि की जानकारी डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के निदेशक श्री आकाश पाटिल द्वारा दी गई। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. गोरखनाथ पटेल ने बताया कि यह फिल्म न केवल डॉ. अंबेडकर के विचारों का प्रभावी चित्रण करती है, बल्कि शिक्षा के प्रति चेतना जगाने में एक सशक्त माध्यम भी बनती है। इस फिल्म के निर्देशक शिक्षक शिवम सिंह ने बताया कि भीमा का सपना फिल्म ने यह सिद्ध किया है कि आज की युवा पीढ़ी बाबासाहेब के सपनों को न केवल समझ रही है, बल्कि उन्हें रचनात्मक रूप से समाज के सामने रख भी रही है। इस फिल्म की कहानी, निर्देशन और प्रस्तुति ने निर्णायकों को प्रभावित किया, जिससे इसे शीर्ष पांच में स्थान मिला। 

मड़ियाहूं के खंड शिक्षा अधिकारी उदयभान कुशवाहा ने इस सम्मानजनक उपलब्धि के लिए फिल्म के रचनाकारों को बधाई दी। साथ ही, इस प्रकार के आयोजनों से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत के युवाओं में सामाजिक न्याय, समानता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति जागरूकता निरंतर बढ़ रही है।

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