“मैं जिंदा हूं...” की तख्ती लटकाए कलेक्ट्रेट पहुंचे बुजुर्ग
ग्राम प्रधान पर मृत दिखाकर पेंशन बंद कराने का आरोप, ब्लड कैंसर से पीड़ित भी शामिल
जौनपुर। सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर का माहौल उस समय स्तब्ध कर देने वाला हो गया, जब तीन बुजुर्ग गले में “मैं जिंदा हूं” लिखी तख्तियां लटकाए जिलाधिकारी कार्यालय पहुँच गए। बुजुर्गों की आंखों में दर्द और लाचारी साफ झलक रही थी। यह दृश्य देखकर परिसर में मौजूद हर कोई ठिठक गया और देखते ही देखते भारी भीड़ जमा हो गई।सिकरारा ब्लॉक के पचोखर गांव के निवासी महंगू निषाद, मंगरू राम और कृपाशंकर तिवारी का आरोप है कि उन्हें वर्षों से मिलने वाली वृद्धा पेंशन योजना का लाभ अचानक बंद कर दिया गया। जब इसकी वजह पूछी गई तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया—ग्राम प्रधान ने उन्हें “मृत” दिखाकर पेंशन बंद करा दिया।
ब्लड कैंसर पीड़ित बुजुर्ग ने सुनाया दर्द
पीड़ितों में शामिल कृपाशंकर तिवारी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे ब्लड कैंसर से जूझ रहे हैं और इलाज के लिए मुंबई गए हुए थे। वापस लौटने पर उन्हें पता चला कि कागजों में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है और उनका पेंशन बंद कर दिया गया। कृपाशंकर ने आक्रोश और पीड़ा भरी आवाज में कहा—
“बीमारी से लड़ते-लड़ते थक गया हूं, लेकिन अब सरकारी कागजों में ही मुझे मार दिया गया है।”
चुनावी रंजिश का आरोप
अन्य दो बुजुर्ग महंगू निषाद और मंगरू राम का कहना है कि ग्राम प्रधान के पति ने चुनावी रंजिश में जानबूझकर यह साजिश रची, ताकि उन्हें परेशान किया जा सके। इनका कहना है कि पेंशन ही उनके बुढ़ापे का सहारा था, लेकिन अब उसे छीन लिया गया।
प्रशासन हरकत में
इस सनसनीखेज खुलासे से समाज कल्याण विभाग में हड़कंप मच गया। तीनों बुजुर्गों की पत्रावलियों को खंगालना शुरू कर दिया गया है। उधर, मुख्य विकास अधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल बीडीओ को जांच के आदेश दिए हैं।
लोगों में आक्रोश और संवेदना
कलेक्ट्रेट पर यह अनोखा विरोध देखकर मौके पर मौजूद लोग गहरी संवेदना व्यक्त करने लगे। कोई बुजुर्गों को दिलासा देता रहा तो कोई उनकी व्यथा सुनकर आक्रोश जताता दिखा। वहां मौजूद लोगों ने कहा कि यह इंसानियत और व्यवस्था दोनों के लिए शर्मनाक है कि जीवित लोग अपनी ज़िंदगी का सबूत लेकर घूमने को मजबूर हैं।