शिक्षा केवल तर्क नहीं, संस्कारों का भी माध्यम होना चाहिए : प्रो. हरिओम त्रिपाठी
"राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में व्यावहारिक सुधार की आवश्यकता"
टी.डी. पी.जी. कॉलेज, जौनपुर में द्विदिवसीय शैक्षिक संगोष्ठी का शुभारंभ
जौनपुर। टी.डी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय के शिक्षक शिक्षा विभाग द्वारा "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पाँच वर्ष: व्यावहारिक चुनौतियां एवं नीतिगत सुझाव" विषयक द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ शुक्रवार को माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. राम आसरे सिंह रहे।
अपने उद्घाटन संबोधन में प्राचार्य प्रो. सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) में नये विचारों की भरमार है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसे लागू करने में कई व्यावहारिक बाधाएं सामने आ रही हैं। नीति की सफलता के लिए जरूरी है कि शिक्षा संस्थान, शिक्षक व प्रशासन इसके यथार्थवादी क्रियान्वयन पर ध्यान दें।
मुख्य वक्ता समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. हरिओम त्रिपाठी ने अपने गहन वक्तव्य में कहा कि शिक्षा केवल तर्कात्मक ज्ञान तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उसमें नैतिक मूल्यों और संस्कारों का समावेश भी अत्यावश्यक है। उन्होंने कहा,
"शिक्षा ही एकमात्र ऐसा धन है जो पीढ़ियों तक हस्तांतरित होता है। इसलिए मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली ही हमें सशक्त राष्ट्र की ओर ले जा सकती है।"
उन्होंने बच्चों की अभिरुचियों के अनुसार प्रवेश, परीक्षा व मूल्यांकन प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कई शोध-सम्मत उदाहरणों द्वारा अपने विचार प्रस्तुत किए।
हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. सुषमा सिंह ने विषयानुरूप कहा कि कुछ विशिष्ट विषयों में छात्र संख्या अत्यधिक होने के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है, जिसे नीति नियंताओं को गम्भीरता से लेना चाहिए।
प्रो. सुधांशु सिन्हा ने कहा कि यदि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समयानुकूल सुधार किए जाएं तो इसके मूल उद्देश्य—समावेशी, लचीली और छात्र केंद्रित शिक्षा प्रणाली—की पूर्ति सहज संभव है।
प्रो. अजय कुमार दुबे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा नीति के मूल उद्देश्यों को शिक्षकों, नीति निर्माताओं और क्रियान्वयन एजेंसियों द्वारा गंभीरता से आत्मसात करना होगा, तभी यह शिक्षा क्रांति का वाहक बन पाएगी।
इस अवसर पर प्रो. रीता सिंह, प्रो. श्रद्धा सिंह, डॉ. अरविंद कुमार सिंह, डॉ. प्रशांत कुमार पांडेय, डॉ. सुलेखा सिंह, डॉ. गीता सिंह, डॉ. सीमांत राय व डॉ. वैभव सिंह ने भी विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. वैभव सिंह ने किया और आभार ज्ञापन डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने किया।