किसी हिरनी ने अपनी आंख में काजल लगाया क्या?
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साहित्य वाचस्पति डा. क्षेम की जयन्ती पर कवि सम्मेलन आयोजित
जौनपुर। साहित्य की जब चर्चा होती है तो साहित्य वाचस्पति डा. श्रीपाल सिंह क्षेम का नाम आदर के साथ लिया जाता है। उक्त विचार राज्यसभा सदस्य सीमा द्विवेदी ने साहित्य वाचस्पति श्रीपाल सिंह क्षेम की 103वीं जयंती पर आयोजित समारोह में व्यक्त किया। साथ ही आगे कहा कि उनके भाई सुधाकर उपाध्याय ने डा. क्षेम के व्यक्तित्व की चर्चा करते समय बताया था कि क्षेम जी एक कुशल अध्यापक थे जो छात्रों को अपने घर बुलाकर भी पढ़ाते थे।विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी डा. दिनेश चन्द्र ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय छायावादी कविता का आविर्भाव हुआ। साहित्यकार के न रहने पर उसकी रचनाएं समाज में उसे जीवित रखने का काम करती है। दूसरे विशिष्ट अतिथि पुलिस अधीक्षक डा. कौस्तुभ ने साहित्य की आवश्यकता पर बल दिया।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य प्रो. आरएन त्रिपाठी ने डा. क्षेम की कविता पांव में हो थकान, अश्रु भीगे नयन, राह सूनी मगर गुनगुनाते चलो का उद्धरण देते हुए कहा कि डा. क्षेम अपनी रचनाओं के माध्यम से आज भी लोगों के हृदय में विद्यमान है। जब भी जौनपुर की शिक्षा एवं संस्कृति का इतिहास लिखा जाएगा, उसमें टीडी कॉलेज और डा. श्रीपाल सिंह क्षेम का नाम अवश्य रहेगा।
कार्यक्रम के द्वितीय चरण में होने वाले कवि सम्मेलन का शुभारंभ आजमगढ़ से पधारीं कवयित्री आराधना शुक्ला ने तुम गेसू संवारा करो मैं दुप्पटे कोना चबाती रहूं। तुम खामोशियां गुनगुनाते रहो मैं तरन्नुम भरा गीत गाती रहूं।। पंक्तियों के माध्यम से श्रृंगार रस की छटा बिखरी। ओज के कवि अतुल वाजपेई ने सर्वोच्च रहेगा कीर्ति केतु मै सवा अरब की ताकत हूं। मैं भारत हूं। मैं भारत हूं। जैसी कविताओं से देशभक्ति की भावना का संचार किया। हास्य व्यंग के सशक्त हस्ताक्षर सर्वेश अस्थाना ने किसी नेता से गिरगिट की तुलना करना महापाप है, क्योंकि रंग बदलने के मामले में नेता गिरगिट का भी बाप है। जैसी कविताओं से लोगों को ठहाके लगाने के लिए बाध्य कर दिया।
गीतों की दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले गीतकार डा. बुद्धि नाथ मिश्र ने जरूरत क्या तुम्हारे रूप को श्रृंगार करने की किसी हिरानी ने अपनी आंख में काजल लगाया क्या? के अलावा एक बार जाल और फेक रे मछेरे जाने किस मछली में बंधन की चाह हो। जैसे गीतों से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों को बुकें स्मृति चिन्ह और शाल देकर सम्मानित किया गया। जिलाधिकारी डा. दिनेश चन्द्र ने भी समस्त कवियों को अपनी ओर से अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर रामकृष्ण त्रिपाठी, रामदयाल द्विवेदी, पूर्व प्राचार्य डा. समर बहादुर सिंह, डा. प्रमोद सिंह, प्रबन्धक राजीव सिंह, वीरेंद्र सिंह एडवोकेट, पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह, राजेश सिंह, स्वाती मिश्रा, डा. विभा तिवारी, सभाजीत द्विवेदी, बेहोश जौनपुरी, राजीव पाठक, प्रदीप सिंह, मुख्य राजस्व अधिकारी, नगर मजिस्ट्रेट इन्द्रनन्दन सिंह, लोलारक दुबे, डा. राम शृंगार शुक्ल गदेला, रत्नाकर सिंह, अजीत सिंह, सुधीर सिंह, धीरू सिंह ब्लाक प्रमुख, जेपी सिंह, धर्मेंद्र सिंह, उदयराज सिंह, पत्रकार जेड हुसैन, कर्मचारी नेता प्रदीप सिंह, डा. मनोज मिश्रा सहित तमाम लोग मौजूद रहे। आभार ज्ञापन शशिमोहन सिंह क्षेम तथा संचालन डा. मधुकर तिवारी ने किया।