मोबाइल की लत से खिलौनों से दूर हो रहे बच्चे,घट रही शारीरिक सक्रियता
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जौनपुर। मोबाइल की लत के चलते बच्चों के खेल आभासी दुनिया में सिमट कर रह गये हैं। पैरेंट्स भी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इतने व्यस्त हैं कि बच्चों को आसानी से मोबाइल पकड़ाकर अपने कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं और बच्चे सिर्फ मोबाइल में टकटकी गड़ाये अपनी मासूम आंखों का सत्यानाश कर रहे हैं। मोबाइल के गेम्स और रील में बच्चों को मजा बहुत आता है लेकिन उनकी शारीरिक सक्रियता दिन प्रतिदिन घटती जा रही। मोबाइल के लत से बच्चे चिड़चिड़े भी होते जा रहे हैं।
मछलीशहर कस्बे में प्लास्टिक के खिलौनों की दुकान चलाने वाले विक्रेता ने बताया कि आज बाजार में प्लास्टिक के खिलौनों के ढ़ेर सारे आइटम उपलब्ध हैं।मोबाइल निश्चित रूप से खिलौनों की मांग पर बुरा असर डाल रहा है। बच्चों की खिलौनों में रुचि कम होने से पैरेंट्स भी खरीदारी से कतराते हैं। खिलौनों में बच्चे तभी रुचि लेते हैं जब पैरेंट्स भी उन्हें समय दें।एकाकी परिवार के चलते बच्चे अपने चचेरे भाई बहनों और दादा दादी के साथ नहीं रहते हैं जिस कारण बच्चों को खिलौनों से खेलने में उतना मजा भी नहीं आता है। खिलौनों से दूर जाते बचपन का दुष्परिणाम बच्चों की घटती शारीरिक सक्रियता और बढ़ता चिड़चिड़ापन सामाजिक जीवन से उन्हें दूर ले जा रहा है।