हिन्दू सदैव से आगे था और आगे ही रहेगा: ईश्वरी प्रसाद
अहिप व राबद की बैठक में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री ने भरी हूंकार
श्री हनुमान चालीसा पाठ का उद्देश्य लोगों की एकजुटता: विरेन्द्र प्रताप
ग्रामसभाओं स्तर तक शीघ्र ही होगा समितियों का गठन: अजय पाण्डेय
जौनपुर। हिन्दू सदैव से आगे था और आगे ही रहेगा, इसलिये अन्तरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद का ध्येय वाक्य है कि 'हिन्दू ही आगे'। संगठन के संस्थापक अध्यक्ष डा. प्रवीण भाई तोगड़िया द्वारा स्थापित संगठन के लक्ष्य के बारे में बताया कि देश में रहने वाले हिन्दू हमेशा समृद्धि हिन्दू, सुरक्षित हिन्दू, सम्मानयुक्त हिन्दू बने रहें। इसके लिये हम सभी को एकजुट होकर अपने राष्ट्र, धर्म, संस्कृति को बचाने के लिये संकल्पित होकर मलेछों का आर्थिक बहिष्कार करना होगा, क्योंकि अब हिन्दू खतरे में है।
उक्त बातें अन्तरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय बजरंग दल सहित सभी आयामों की हुई बैठक में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री ईश्वरी प्रसाद ने बतौर मुख्य वक्ता के रूप में कही। नगर के पॉलिटेक्निक चौराहे पर पास स्थित एक मैरेज हाल में आयोजित बैठक में उपस्थित जनसमूह के बीच उन्होंने कहा कि इसके लिये हमें गांव-गांव एवं नगर-नगर हनुमान चालीसा पाठ किया जाय जिससे विश्व में सनातनी हिन्दुओं की एकजुटता हो। इतिहास बताते उन्होंने हुये कहा कि सनातनी हिन्दू धर्म एवं संस्कृति को बचाने लिये पुरूष के साथ महिलाओं ने अपना बलिदान दिया है। कहीं जौहर करके तो कहीं युद्ध क्षेत्र में बलिदान दिया है, इसलिये अन्तरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद के नेतृत्व में ओजस्विनी और महिलाओं के सशक्तिकरण और एकत्रीकरण के लिये समाज से लोगों को जोड़कर उनके उत्साह एवं साहस को बढ़ाने के लिये तमाम कार्यक्रम कराये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज समाज से लोग लालायित हैं किसके साथ राष्ट्र—धर्म की सुरक्षा हेतु कार्य करें तो उसके लिये डा. प्रवीण भाई तोगड़िया ने आपको एक होने के लिये अन्तरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय बजरंग दल सहित 18 आयामों का संगठन दिया है। शास्त्र की रक्षा हमेशा शस्त्र से होती है।
इसी क्रम में डा. वीरेन्द्र प्रताप सिंह प्रान्त कार्याध्यक्ष ने श्री हनुमान चालीसा पाठ केन्द्र क्यों और कैसे स्थापित किया जाय, इस पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये कहा कि एकजुटता में बल है। वहीं रामजी जायसवाल विभाग उपाध्यक्ष ने संगठन के कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने के लिये समाचार पत्र, सोशल मीडिया आदि की भूमिका पर प्रकाश डाला। साथ ही संगठन के कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाने के लिये क्या करना चाहिये, उस पर अपना विचार व्यक्त किया।