टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ यूटा का हल्ला बोल, प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन
यूटा ने अपने ज्ञापन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से देशभर के लगभग 30 लाख शिक्षक और उनके परिवार संकट में आ गए हैं। आदेश के मुताबिक यदि आगामी दो वर्षों में शिक्षक टेट उत्तीर्ण नहीं कर पाते हैं तो उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी। इससे उन शिक्षकों पर सीधा प्रहार होगा जिन्होंने 20–25 वर्ष तक शिक्षा जगत को समर्पित कर दिया है।
शिक्षकों ने कहा कि शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 23(1) और 23(2) तथा आरटीई संशोधन अधिनियम 2017 के अनुसार 23 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए टेट की कोई अनिवार्यता नहीं थी। यहां तक कि एनसीटीई की अधिसूचना में भी स्पष्ट उल्लेख है कि उस तिथि से पूर्व के शिक्षक टेट से मुक्त हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का आदेश शिक्षकों के हितों के प्रतिकूल है।
जिलाधिकारी ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि ज्ञापन प्रधानमंत्री तक पहुंचा दिया जाएगा और उनकी पीड़ा उच्च स्तर पर रखी जाएगी।
इस अवसर पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष चंद्रेश यादव, जिला मंत्री लक्ष्मी नारायण तिवारी, कोषाध्यक्ष डॉ. आशीष सिंह, संयुक्त मंत्री प्रदीप कुमार सिंह, महिला उपाध्यक्ष निशा मिश्रा सहित सैकड़ों शिक्षक मौजूद रहे।