आंधी-पानी ने बिगाड़ा दशहरे का रंग, बच्चों के चेहरे पर मायूसी
शहर और ग्रामीण अंचलों में अलग-अलग जगहों पर लगाए गए रावण के पुतले तेज आंधी से गिरकर क्षतिग्रस्त हो गए। कई जगहों पर पुतले बारिश में भीगकर बेकार हो गए। आयोजकों ने बड़ी मशक्कत के बाद किसी तरह पुतले खड़े किए और शाम को औपचारिकता निभाते हुए उनका दहन किया।
हर साल दशहरे पर बच्चों में रावण दहन देखने का रोमांच चरम पर होता है। इस बार इंद्रदेव की नाराजगी के चलते बच्चे रावण दहन का पूरा मजा नहीं ले पाए। कई जगहों पर पुतले अधजले रह गए तो कहीं धधकते ही तुरंत बुझ गए। बच्चों के चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही थी।
दशहरे का मेला स्थानीय व्यापारियों और खोमचे-ठेले वालों के लिए कमाई का बड़ा अवसर होता है। लेकिन इस बार बारिश और आंधी के चलते भीड़ कम रही। नतीजा यह रहा कि खिलौनों, मिठाइयों और खानपान की दुकानों पर रौनक नहीं दिखी। अधिकांश दुकानदारों का सामान भीगकर खराब हो गया और उन्हें घाटा उठाना पड़ा।
मौसम की मार से आयोजक भी निराश नजर आए। उनका कहना है कि महीनों की मेहनत और खर्चे के बाद इस बार का आयोजन उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका। हालांकि लोगों ने आस्था और परंपरा के चलते किसी तरह रावण दहन करके दशहरा पर्व की औपचारिकता पूरी की।