दहेज एक कुप्रथा है जो बेटियों के लिए अभिशाप है: इंदु सिंह

 दहेज रहित आदर्श सामूहिक विवाह महिलाओं के खिलाफ हिंसा, उत्पीड़न, वित्तीय बोझ, और कन्या भ्रूण हत्या जैसी गंभीर समस्याओं का निदान करता है:- आरिफ हबीब


दहेज प्रथा वह सामाजिक बुराई है जिसमें विवाह की शर्त के रूप में दुल्हन का परिवार दूल्हे और उसके परिवार को नकदी, संपत्ति, या अन्य बहुमूल्य वस्तुएँ देता है। यह एक ऐसी प्रथा है जो दुल्हन के परिवार पर भारी वित्तीय बोझ डालती है और सामाजिक दबाव, प्रतिष्ठा की चाहत और लालच के कारण फैली हुई है। दहेज लेना और देना भारत में दहेज निषेध अधिनियम 1961 के तहत कानूनी अपराध है। 
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं जिलाध्यक्ष श्री इंद्रभान सिंह इंदु ने कहा कि ऐसे परिवार जो दहेज के आभाव में या वित्तीय रूप से कमज़ोर होते हैं अपनी बेटियों के हाथ पीले नहीं कर पाते।
ऐसे परिवारों की बेटियों को वैवाहिक जीवन देने के लिए जनपद की प्रसिद्ध सामाजिक एवं रचनात्मक संस्था ज़ेब्रा फाउंडेशन के दहेज रहित आदर्श सामूहिक विवाह के 9वें अनुष्ठान में सभी धर्मों की बहनों, बेटियों को सम्मानजनक वैवाहिक जीवन देने का महा अनुष्ठान आगामी 7 दिसंबर 2025 को ज़िला मुख्यालय पर मोहम्मद हसन इंटर कालेज आयोजित किया जाएगा।
 इस अनुष्ठान *दहेज रहित आदर्श सामूहिक विवाह* में जनपद के सभी सम्मानित व्यापारियों, सामाजिक संस्थाओं से बढ़ चढ़ का हिस्सेदारी लेने का निवेदन करते हैं।
उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के 
ज़िला महामंत्री आरिफ हबीब ने कहा कि 
समाज में प्रतिष्ठा, लालच, परंपरा और सामाजिक दबाव महिलाओं के खिलाफ हिंसा, उत्पीड़न, वित्तीय बोझ, और कन्या भ्रूण हत्या जैसी गंभीर समस्याएं पैदा करती हैं।
लेकिन ज़ेब्रा फाउंडेशन ट्रस्ट का यह अनुष्ठान दहेज जैसी कृप्रथा को खत्म कर बेटियों और बहनों को सुखद वैवाहिक जीवन देता है

आइए हम सब मिलकर इस पुनीत कार्य में बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी लेते हुए ज़ेब्रा के महानुष्ठान को सफल बनाए।

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